ब्रह्मा, विष्णु व महेश के शक्तियों का स्वरूप है सूर्य : आचार्य

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सुपौल/करजाईन: गौरीश मिश्रा

 

ब्रह्मा, विष्णु व महेश के शक्तियों का स्वरूप है सूर्य : आचार्य

– 14 जनवरी को 8 बजकर 5 मिनट से मकर संक्रांति का शुभारंभ


बिहार/ सुपौल : मकर संक्रांति का पर्व पूरे भारतवर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मकर 12 राशियों में से एक राशि है और संक्रांति का अर्थ होता है संक्रमण। मकर संक्रांति का महत्व इस कारण भी सबसे अधिक बढ़ जाता है कि इस समय सूर्य उस कोण पर आ जाता है, जहां से वह अपनी संपूर्ण रश्मियां मानव पर उतारता है।

इन रश्मियों को किस प्रकार से ग्रहण कर लिया जाय, इसके लिए साधक को चैतन्य होना आवश्यक है। मकर संक्रांति का महात्म्य बताते हुए आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने कहा कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों के शक्तियों का स्वरूप है सूर्य।

इसीलिए मकर संक्रांति पर सूर्य साधना-आराधना करने से तीनों की साधना का लाभ प्राप्त हो सकता है।

उन्होंने बताया कि सूर्य प्रत्येक राशि पर एक माह तक संचार करते हैं। इस प्रकार प्रत्येक माह में प्रत्येक राशि की संक्रांति क्रमशः आती रहती है। इनमें मकर संक्रांति का विशेष महत्व शास्त्रों में भी बताया गया है।

इस दिन भगवान सूर्य उतरायण हो जाते हैं। मकर सहित छह तथा कर्कादि राशियों का भोग करते समय सूर्यदेव क्रमशः उतरायण और दक्षिणायन में रहते हैं।

इसी दिन से सूर्यदेव के उतरायण होने पर वे देवताओं के तथा दक्षिणायन होने पर पितरों के अधिपति होते हैं। जब सूर्य एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश-संक्रमण करता है तो उसे संक्रांति कहते हैं।

धर्मेंद्रनाथ ने बताया कि सूर्य 12 हो राशियों में प्रवेश करता है। इसलिए वर्ष में 11 संक्रांति होती है। दक्षिणायन से उतरायण में आने की सूर्य की प्रक्रिया और एक राशि से दूसरी राशि में सूर्य के प्रवेश दोनों का संगम ही मकर संक्रांति कहलाता है।

इस उत्सव के दिन लोग तिल का प्रसाद खिलाकर पुराने मतभेदों को भी भुलाकर प्रेम संबंध स्थापित करते हैं। आचार्य ने कहा कि पुराना स्नेह फिर से पुनर्जीवित करना और कल्याण के लिए जीवन में उसका स्थान बनाए रखना ही संक्रांति पर्व का भाव है।

उत्तर प्रदेश एवं बिहार में इसे खिचड़ी पर्व से भी जाना जाता है। इस दिन पूजा-अर्चना, साधना व दान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है।

बाक्स- 14 जनवरी को होगा मकर संक्रांति
आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी यानी गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान सूर्य अपनी राशि परिवर्तन कर प्रात: 8 बजकर 05 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही देशभर में मकर-संक्रांति  के पर्व का शुभारंभ हो जाएगा।

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