जैविक उर्वरक के रूप में देशी विधि से खाद बना रहे बुजुर्ग किसान !
सुपौल/करजाईन: गौरीश मिश्रा
जैविक उर्वरक के रूप में देशी विधि से खाद बना रहे बुजुर्ग किसान !
बिहार/सुपौल: रासायनिक खाद के बढ़ते दाम एवं इनके दुष्प्रभाव को देखते हुए किसानों ने विकल्प के रूप में खुद से देशी खाद का निर्माण शुरू कर दिया है। किसानों की यह अनूठी पहल धीरे- धीरे रंग ला रही है। किसान अब बहुतायत फसलों के साथ-साथ फल एवं सब्जी की खेती में भी इस देशी खाद का उपयोग करने लगे हैं।
सुपौल जिले में कार्यरत स्वयंसेवी संस्था हेल्पेज इंडिया के सहयोग एवं तकनीकी जानकारी से लाभान्वित होकर बसन्तपुर, राघोपुर, प्रतापगंज एवं छातापुर प्रखंड के कई गांवों के बुजुर्ग स्वयं सहायता समूह के किसानों ने बायोचार नामक यह देशी खाद का निर्माण शुरू किया है। कम लागत में अधिक मात्रा में खाद का उत्पादन एवं इनके फायदे देखकर आसपास के गांवों के किसान भी इस तरफ आकर्षित होने लगे हैं।
इस अनोखे जैबिक खाद बायोचार का निर्माण कर किसान न केवल अपने खेतों के उपज बढ़ा रहे हैं बल्कि अपने स्वास्थ के साथ-साथ अपने जमीन को भी स्वस्थ कर रहे हैं।
कैसे होता है इस जैबिक खाद का निर्माण
बायोफ़र्टिलाइज़र और चारकोल (कोयला ) के समिश्रण से तैयार होनेवाले इस खाद को बनाने के लिए किसान सबसे पहले लकड़ी, धान के भूसा , पुवाल बगैरह से कोयले तैयार करते हैं। फिर कोयले में मात्रा अनुसार वर्मी कपोस्ट को मिलाते हैं और उच्च गुणबत्ता के लिए इसमें किसान खुद से निर्माण कर ईएम और डिकम्पोसर का छिड़काव करते हैं। इसमें जैविक मात्रा बढ़ाने के लिए गुड़ मिलाकर पूरे समिश्रण को सात दिन तक पॉलिथीन के सहारे बंद कर देते हैं। एक सप्ताह के बाद इसे ये खोलते हैं तो इनका जैबिक उर्बरक बायोचार बन कर तैयार होता है।
पशु चारा में भी लाभदायक है बायोचार
बायोचार पशु में मिथेन उत्पादन में कमी कर शारीरिक वृद्धि दर को सुनिश्चित करता है। साथ ही
पशु के पाचन प्रक्रिया में सुधार कर रोग प्रतिरोधक क्षमता में बृद्धि करता है। इसके अलावा पशु के शरीर के क्रोनिक बोटुलिज़्म (विषाक्त) को कम कर भोजन क्षमता और ऊर्जा दक्षता में वृद्धि करता है।
भूमि की गुणवत्ता को जड़ से सुधार करता है बायोचार

हेल्पेज इंडिया के बिहार राज्य प्रभारी गिरीश चन्द्र मिश्र ने बताया कि बायोचर उर्बरक का प्रयोग खेतों में भूमि की गुणवत्ता को जड़ से सुधार करता है और पौधों या फसल की वृद्धि को कई गुना बढ़ा देता वही मिट्टी की अम्लता और को कम करता है और खेतों में बढ़ी हुई क्षारीयता को भी संतुलित कर मिटटी के जल संग्रहण क्षमता में भी वृद्धि करता है। इतना ही नहीं इस जैविक खाध में फसल को देने वाले 16 न्यूटेन्ट मौजूद है, जिसके प्रयोग से मिट्टी की अम्लता कम होने के साथ उसमे बढ़ी हुई क्षारीयता को संतुलित रखता है। जिससे फसल के उपज में कई गुने की बृद्धि देखी जा सकती है।