लोकतंत्र में प्रभु सत्ता जनता में निहित होती है- एलके निराला !

 

लोकतंत्र में प्रभु सत्ता जनता में निहित होती है-इंजीनियर एलके निराला

छातापुर/सुपौल
आज मंजूषा पब्लिक स्कूल में राष्ट्रीय युवा महासंघ के सौजन्य से संविधान दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया तथा शारीरिक दूरी का पालन किया गया । कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर सामूहिक रूप से महासंघ के अध्यक्ष इंजीनियर निराला एवं मंजूषा पब्लिक स्कूल के निर्देशक दिनेश कुमार यादव ने किया । सर्वप्रथम राष्ट्रगान गाकर सभी ने कार्यक्रम का आगाज किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय युवा महासंघ के अध्यक्ष इंजीनियर एलके निराला ने किया। इंजीनियर एल के निराला ने सभी को संविधान के प्रस्तावना की शपथ दिलाई ।महासंघ अध्यक्ष स प्राचार्य मंजूषा पब्लिक स्कूल इंजीनियर निराला ने सभा को संबोधित करते हुए कहा-” हम भारत के लोग गौरवान्वित है कि हमारे देश के पास दुनिया की सबसे बड़ी लिखित संविधान है, जिसके शिल्पकार सिंबल ऑफ नॉलेज बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर थे। जिन्होंने दुनिया के तमाम संविधान का अध्ययन किया तत्पश्चात भारतीय संविधान की रूपरेखा तैयार किया।

” संविधान सभा ने संविधान लिखने का कार्य 9 दिसंबर 1946 को प्रारंभ किया जिसके अस्थाई अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा थे। पुण: 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष चुने गए तथा संविधान सभा में कुल 389 लोग थे । जिन्होंने इस कार्य को 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन में पूरा किए। 26 नवंबर 1949 ईस्वी को संविधान को संविधान सभा ने स्वीकृत किया तथा पूर्णरूपेण 26 जनवरी 1950 को संविधान देश में लागू हुआ । इंजीनियर निराला ने बताया किसी भी देश का संविधान निर्माण उसके अतीत के नींव पर किया जाता है । भारतीय संविधान निर्माता चाहते थे कि भारत गणराज्य के जन -जन के मन में इन मूल्यों के प्रति आस्था- प्रतिबद्धता जगे व पनपे तथा आने वाली पीढ़ियां जिन्हें यह संविधान आगे चलाना है इन मूल्यों से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें ।

यह उद्धत मूल्य हैं – संप्रभुता, समाजवाद, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्र, गणराज्य स्वरूप ,न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुता ,व्यक्ति की गरिमा ,राष्ट्र की एकता तथा अखंडता । उन्होंने कहा मेरी विनम्र मान्यता रही है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को युवक-युवतियों को बच्चे बड़ों को शिक्षक विद्यार्थियों को अपने देश के संविधान से उनकी राजनीतिक व्यवस्था से परिचित होना चाहिए। यह दुर्भाग्य ही है कि संविधान की शिक्षा को विभिन्न स्तर अभी तक समुचित स्थान नहीं दिया गया, और भी खेद की बात है कि हिंदी भाषा में भारत के संविधान और संवैधानिक विधि पर प्रामाणिक और मानक मूल लेखन बहुत कम उपलब्ध है। सभा को संबोधित करते हुए मान्यवर दिलीप बाबू ने कहा आए दिन संविधान पर खतरा मंडराता दिख रहा है। हम लोगों को संविधान और संवैधानिक संस्थाओं की रक्षा करनी होगी ।

सभा को मुख्य रूप से मंजूषा पब्लिक स्कूल के निर्देशक दिनेश यादव, वरीय शिक्षक राम चंद्र मिश्रा, कुंदन कुमार ,पूजा कुमारी ,सिंटू कुमार मेहता ,रुपेश कुशवाहा आदि ने संबोधित किया मौके पर मयंक राम, बृजेश, सोनू, अर्चना, सुभाष कुमार, सत्या ,नवनीत, निधि, रविकांत, उमाशंकर राम, संतोष ऋषिदेव, मनोज राम, रामचंद्र यादव, श्रवण यादव, दीपक, आशीष, प्रियांशु आदि मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!