मृत्यु भोज का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर समाज को एक नई दिशा दें- ईं निराला

डेस्क

मृत्यु भोज का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर समाज को एक नई दिशा दें- ईं निराला

 

बिहार/सुपौल: आंशुओं से भींगे निकृष्ट भोज मृत्यु भोज का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर समाज को एक नई दिशा दें उक्त बातें ईं निराला ने कही। छातापुर प्रखंड अंतर्गत राजेश्वरी पूर्वी पंचायत के टीनटंगी गांव में मृत्यु भोज बहिष्कार कर श्रद्धांजलि कार्यक्रम महासंघ कार्यकर्ता चंदन राम के मां के निधन के उपरांत राष्ट्रीय युवा महासंघ के सौजन्य से किया गया।

श्रद्धांजलि कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय युवा महासंघ के अध्यक्ष इंजीनियर एलके निराला ने किया। मंच संचालन राजेश्वरी पूर्वी के विकास मित्र मनोज कुमार राम ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया।

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय युवा महासंघ के अध्यक्ष इंजीनियर एलके निराला ने कहा कि मृत्यु भोज समाज में व्याप्त एक बहुत बड़ी सामाजिक कुरीति है। मृत्यु भोज बंद कराने के लिए जागरूक समाज हमेशा पहल करते आ रहे हैं लेकिन अभी तक व्यापक सफलता नहीं मिली। मृत्यु भोज पर प्रतिबंध लगाने को लेकर लंबे समय से कई सामाजिक संगठन अभियान चलाते आ रहे हैं।

समाज में व्याप्त इस मृत्यु भोज रूपी कलंक का अंत अब होने की सुगबुगाहट महसूस होने लगा है। राष्ट्रीय युवा महासंघ के लगातार चलाए जा रहे जनजागृति अभियान का आंशिक परिणाम समाज में अब दिखने लगा है। राष्ट्रीय युवा महासंघ द्वारा चलाए जा रहे मृत्यु भोज बहिष्कार मुहिम का समर्थन यहां के समाज ने जो किया है वास्तव में यह ऐतिहासिक फैसला है ।

इंजीनियर निराला ने बताया कि जिस भोजन को रोते हुए बनाया जाता है उस भोजन को खाने के लिए रोते हुए बुलाया जाता हो, ऐसे भोजन को आंसू बहाते हुए खिलाया जाता है और हम समाज कैसे उसे खुशी-खुशी खा भी लेते हैं यह समझ से परे है। एक तो अपनो के बिछड़ने का दर्द है ऊपर से मृत्यु भोज का भारी-भरकम खर्च मानव विकास के क्रम में यह कुरीति कैसे फैल गई यह भी एक बहुत बड़ी विषमता है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय युवा महासंघ के मार्गदर्शक दिलीप यादव ने कहा कि आज वाकई में मृत्यु भोज बड़ी बुराई बन चुका है। अपनों को खोने का दुःख, ऊपर से मृत्यु भोज का भारी भरकम खर्च। इसके चलते कई दुखी परिवार कर्ज के बोझ में दब जाते हैं, जो सभी के मन को द्रवित करता है।

राष्ट्रीय युवा महासंघ के सचिव सिंटू कुमार मेहता ने श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा की पहले की बात अलग थी संसाधन के अभाव में दूर से आने वालों के लिए भोजन का प्रबंध किया जाता था जिसे तब भी अतिथि सत्कार का नाम दिया जाता था। लेकिन वर्तमान समय में हालात बदल गए हैं मृत्यु भोज को लोग अपने इज्जत से जोड़ लिए। विचित्र प्रकार के संस्कृति का प्रादुर्भाव हो गया और यह प्रथा कुप्रथा में जकड़ता चला गया। कृष्णा राज ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अंधविश्वास, कर्मकांड, पाखंडवाद के दलदल से समाज को बचाना होगा। आज यह कलंक की प्रथा समाज में इतना व्याप्त हो गया है कि साधारण लोगों को परिजन के गुजरने से ज्यादा चिंता मृत्यु भोज के लिए आर्थिक तंगी से हो जाता है।

सुशील कुमार ने बताया कि मृत्यु भोज सामाजिक ,आर्थिक, धार्मिक किसी भी तरह से ठीक नहीं है। इस तरह की बर्बादी से उत्पादन कैसे बढ़ेगा, बच्चे कैसे पढ़ेंगे, छात्र रवि रोशन ने मृत्यु भोज बहिष्कार का संकल्प लेते हुए कहा कि मृत्यु भोज समाज को दीमक की भांति खोखला करता जा रहा है। यहां तक कि शहीदों के परिवार को भी नहीं बख्शा जाता है। वह परिवार क्या बालिका शिक्षा के बारे में सोचेगा जो ऐसे कृतियों के कारण कर्ज में डूब जाता है फिर वह मजबूरी में बाल विवाह, बाल मजदूरी करता है।

सभा को मुख्य रूप से मुखिया प्रतिनिधि अशोक कुमार यादव, संजय कुमार यादव, रामदत्त राम, नंदकिशोर यादव, ब्रह्मदेव यादव, सज्जन कुमार आदि ने भी संबोधित किया। उपस्थित संत समाज के प्रधान राजेंद्र साहेब ने राष्ट्रीय युवा महासंघ के द्वारा चलाए जा रहे मृत्यु भोज बहिष्कार मुहिम का समर्थन करते हुए कहा पूरे साधु समाज इस मुहिम के साथ खड़ा है और हम लोग अपना सामूहिक समर्थन देते हैं। इस मुहिम को जन जन तक पहुंचना चाहिए ताकि लोग फिजूलखर्ची से बच सके।

अंत में उपस्थित सभी लोगों ने एक स्वर में मृत्यु भोजन न खाने ना खिलाने का संकल्प भी लिया। मौके पर सदानंद राम, मनोज राम, अरविंद कुमार, अमोद कुमार, गुणदेव दास, सुधांशु कुमार, दिलीप यादव, परमानंद मेहता, मूलचंद मेहता, मयंक, प्रशांत, सुशील कुमार, रुपेश कुशवाहा, राजीव कुमार यादव, उमाशंकर आदि उपस्थित रहे।

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