मृत्यु भोज सामाजिक कलंक, बहिष्कार के लिए बुद्धिजीवियों और युवाओं को करना होगा खास पहल- ईं. निराला

डेस्क

मृत्यु भोज सामाजिक कलंक, बहिष्कार के लिए बुद्धिजीवियों और युवाओं को करना होगा खास पहल- ईं. निराला

बिहार/सुपौल: इंसान स्वार्थ व खाने के लालच में कितना गिर गया है, जिसका जीता जागता उदाहरण है समाज में व्याप्त कुरीतियां।

ऐसे ही पीड़ा देने वाली कुरीति वर्षों पहले कुछ स्वार्थी लोगों ने भोले- भाले जनता में फैलाई थी, वह है मृत्यु भोज। मानव विकास के रास्ते में यह गंदगी कैसे पनप गई यह समझ से परे है। जानवर भी अपने किसी साथी के मरने पर मिलकर दुख प्रकट करता है, इसका अंदाजा हम जानवर के हाव भाव से भी लगा सकते हैं। उनके आंखों में आंसू और उदासी चेहरा से हरी भरी घास भी फीका पड़ जाता है।

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लेकिन इंसानी बेईमान दिमाग की करतूतें देखिये कि यहां किसी व्यक्ति के मरने पर उसके साथी, सगे- संबंधी भोज करते हैं ।वह मिठाइयां बांटते हैं जो कि सामाजिक बुराई है। इसको खत्म करने के लिए हम सभी को जागरूक होकर काम करना होगा।

यह बातें मंगलवार को सुपौल जिला अंतर्गत छातापुर प्रखंड के चकला गांव में राष्ट्रीय युवा महासंघ के अध्यक्ष इंजीनियर एलके निराला ने एक समाजसेवी वृद्ध महिला के श्रद्धांजलि सभा में कही।

सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मृत्यु भोज के जगह पुष्पांजलि सभा समाज में एक विकल्प के तौर पर तैयार हो रहा है और वास्तव में मृतक के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी और कलंक के प्रथा को समाज से जल्द मुक्त कराने के लिए युवाओं एवं बुजुर्गों को आगे आना पड़ेगा।

श्रद्धांजलि सभा का आयोजन राष्ट्रीय युवा महासंघ के कर्तव्यनिष्ठ साथी आशीष कुमार के दादी मां के निधन के शोक में आयोजित किया गया था। आशीष ने बताया मैं एमए का छात्र हूं और मैं ग्रेजुएट युवा हूं इसलिए इस अंधविश्वास और पाखंडवाद से मुक्ति दिलाना हमारा नैतिक जिम्मेवारी है इसलिए हमने ऐसा फैसला किया। और राष्ट्रीय युवा महासंघ के प्रशिक्षण शिविर में हमने मृत्यु भोज ना खाने ना खिलाने की शपथ भी ली थी, इसलिए हम लोग कृत संकल्पित भी हैं ।

श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए महासंघ के मार्गदर्शक दिलीप यादव ने कहा मृत्यु भोज के जगह शिक्षा के प्रचार प्रसार में खर्च हो राशि जिससे बच्चे का भविष्य उज्जवल हो।
राष्ट्रीय युवा महासंघ के कोषाध्यक्ष सज्जन ने बताया युवा महासंघ अपने स्थापना काल से ही मृत्यु भोज को समाज से उखाड़ फेंकने के लिए कमर कस लिया है और इस पहल की सराहना भी समाज में हो रही है ।

हम लोग लगातार जब तक यह कलंक की प्रथा खत्म नहीं हो जाती जनजागृति करते रहेंगे। महासंघ संयोजक रुपेश मेहता ने बताया हम लोग पूरी मजबूती के साथ समाज में वैकल्पिक व्यवस्था मृत्यु भोज के बदले पुष्पांजलि सभा का तथा श्रद्धांजलि सभा का देने का काम किया है। जिसका समर्थन धीरे-धीरे समाजिक लोग आगे बढ़कर कर रहे हैं।

उम्मीद है कि आने वाले पांच दस वर्षों में इस कलंक की प्रथा से हम सब समाज को मुक्त कर देंगे। श्रद्धांजलि सभा का मंच संचालन राष्ट्रीय युवा महासंघ के सचिव सिंटू कुमार मेहता ने किया। उन्होंने अपनी संचालन की शुरुआत राष्ट्रीय युवा महासंघ के मृत्यु भोज बहिष्कार प्रस्ताव से किया। जिस पर उपस्थित लोगों ने अपनी सहमति जताई और मृत्यु भोज ना करने ना खाने का संकल्प भी दोहराया। राष्ट्रीय युवा महासंघ मीडिया प्रभारी सुमन कुमार ने बताया मृत्यु भोज पर खर्च होने वाली राशि का उपयोग हम किसी बेघर को घर एवं गरीब के बेटी के शादी करने में भी कर सकते हैं जो कि समाज में एक मिसाल पैदा होगा ।और हम लोग ऐसा खुला विकल्प समाज को दे रहे हैं ।

श्रद्धांजलि सभा में मुख्य रूप से फुलेश्वर यादव, पुलेन्द यादव,लक्ष्मण यादव, आशीष कुमार, मुकेश हजारी दिनेश पोदार राजकुमार पौदार , बालेश्वर झा, भीम झा , कविता देवी,, काजल कुमारी, मनीष ,बहादुर यादव ,मंटू आदि के साथ सैकड़ों की संख्या में महिलाएं एवं ग्रामीण शामिल हुए। सभी ने मृत गीता देवी के तैलिय चित्र पर श्रद्धा के सुमन अर्पित किए एवं अंत में 2 मिनट मौन रखकर उनके आत्मा की सद्गति के लिए प्रार्थना किए।

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