प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का हाल लचर, खुद इलाज की जरूरत !

सुपौल/मरौना:मनोज कुमार

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का हाल लचर, खुद इलाज की जरूरत !

बिहार/सुपौल : व्यवस्था में चाहे लाख आमूल-चूल परिवर्तन हो जाए। परन्तु स्वास्थ्य विभाग पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है। एक लाख 80 हजार लोगों के स्वास्थ्य का जिम्मा संभाले मरौना प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को खुद इलाज की जरूरत है । एक तो यहां सृजित पद के मुताबिक चिकित्सक नहीं है। वहीं कर्मियों की कमी के कारण उत्तम स्वास्थ्य सेवा देने का दावा महज दिखावा है।

उसमें भी तब जब एक तरफ सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का ¨ढींढोरा पिट रही है। वहीं इस पीएचसी में ए ग्रेड नर्स से लेकर महिला चिकित्सक, ड्रेसर, कंपाउंडर आदि जैसे महत्वपूर्ण पद खाली पड़े हैं।

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ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां किस स्तर का इलाज मरीजों को मिलता होगा। बताते चलें कि मरौना प्रखंड जिले के पश्चिमी सीमा पर अवस्थित है। जो तीनों ओर से नदियों से घिरा हुआ है। जहां के लोगों के लिए उक्त स्वास्थ्य केन्द्र पीएमसीएच से कम नहीं है।

लोगों का यह भ्रम तब टूट जाता है जब वे इलाज को केन्द्र पहुंचते हैं। परन्तु वहां उन्हें परामर्श तक नहीं मिल पाता है। कहने को तो यहां स्वास्थ्य कर्मियों का एक लंबा पद सृजित है। परन्तु अधिकांश पद पर या तो कर्मी ही नहीं है या फिर सृजित पद के अनुकूल कम ही कर्मी यहां तैनात है। ऐसे में यहां के लोगों को स्वास्थ्य सेवा के लिए अन्य जगहों का रूख करना पड़ता है।

खासकर प्रसव की व्यवस्था यहां काफी लचर बनी हई है। एक तो महिला डाक्टर नहीं है और ए ग्रेड नर्स का पद सृजित रहने के बावजूद भी इनकी पदस्थापना यहां नहीं हुई है। खासकर स्वास्थ्य कर्मियों के कमी का खामियाजा यहां के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इधर विभाग है कि सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना बैठा है।

डॉक्टर और कर्मियों का काफी अभाव

इस अस्पताल में प्रतिदिन 100 से 112 तक मरीज आते हैं। 15 से 20 मरीज प्रसव के लिए, जबकी 15 से 20 के करीब बच्चे प्रतिदिन आते हैं। डॉक्टर एवं संसाधनों के अभाव के चलते अधिकांश मरीजों को सही से ईलाज नहीं हो पाता है।

वर्तमान में डॉक्टर के 13 सृजित पद में मात्र 07 पदस्थापित, एएनएम के 52 सृजित पद के विरुद्ध 52, 5 लैब टेक्नीशियन के स्थान पर एक पदस्थापित, एक फार्मासिस्ट का पद रिक्त एवं एक ड्रेसर का पद रिक्त है।

महिला रोग विशेषज्ञ भी एक पद है जो खाली है। शिशु रोग विशेषज्ञ का पद खाली है। बीसीएम आदि कई ऐसे अहम पद हैं जो वर्षों से खाली हैं। जिसके चलते अधिकांश अस्पताल पहुंचे मरीजों को प्राथमिक उपचार भी सही तरीके से संभव नहीं हो पाता है।

अस्पताल के चारों तरफ फैली है गंदगी

अस्पताल परिसर के अगल-बगल गंदगी का अंबार लगा हुआ था। कुछ जानवर गंदगी को इधर से उधर करते रहते हैं जिससे कई तरह की बीमारी होने की आशंका रहती है।

बीमार एंबुलेंस के बदौलत चलता है पीएचसी

अस्पताल में कहने के लिए तो एंबुलेंस है लेकिन स्थिति यह है कि एंबुलेंस खुद बीमार है। एंबुलेंस का अधिकांश समय ठीक होने में ही बीतता है। जिसके कारण कई बार प्रसव कराने आने वाली महिला को रास्ते मे ही प्रसव हो जाता है। कई बार टायर ही उर गया, तो कई बार रास्ते से टोचन कर के लाना पड़ा।

हालकि दो रोज पहले तत्काल के लिए एक एम्बुलेंस जिला से दिया गया है लेकिन वह भी समय पर मरीज का काम नहीं आता है।

कहते हैं मरीज…

प्रसव के लिए पीएचसी में पहुंचे कमरैल की महिला अनिता देवी, छारापट्टी के किरण कुमारी ने कहा कि अस्पताल का एम्बुलेंस खराब रहने के कारण हमलोगों को अस्पताल आने में काफी दिक्कतें हुई हैं। टेम्पू लेकर यहां पहुँची और तो कहा कि यहां के एनएम समय पर नहीं रहती है, अगर रहती भी है तो गप्पे लड़ाती ज्यादा और काम कम करती है।

बताया कि अस्पताल के प्रसव कक्ष के सटे उत्तर मरीज के उपयोग के लिए बने शौचालय के समीप गंदगी का अंबार पड़ा है, वहीं देख- रेख के अभाव में प्रसव कक्ष के उपयोग के लिए बना शौचालय जाने लायक नहीं है। भवन के अगल-बगल तो सफाई ही नहीं की जाती है।

कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बीके पासवान ने कहा है कि 13 पंचायत सहित मधबनी के कुछ मरीज भी यहाँ इलाज कराने आते है। संसाधनों के अभाव से इलाज में परेशानी का सामना तो करना ही पड़ता है। फिर भी जितना साधन है उसके मुताबिक हर संभव इलाज के लिए प्रयास की जाती है।

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