प्रशासनिक विफलता की वजह से लोग खुलेआम लॉक डाउन की उड़ा रहे धज्जियां !
डेस्क
प्रशासनिक विफलता की वजह से लोग खुलेआम लॉक डाउन की उड़ा रहे धज्जियां !
बिहार/सुपौल: प्रदेश में कोविड 19 संक्रमण की बेतहाशा वृद्धि को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा 15 मई तक सम्पूर्ण लॉक डाउन की घोषणा की गई है।परंतु प्रशासनिक विफलता की वजह से लोग खुलेआम लॉक डाउन की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए लॉक डाउन को सख्ती से लागू किया जाना स्थानीय प्रशासन का दायित्व बनता है परंतु स्थिति को देखते हुए छातापुर प्रखंड क्षेत्र में कहीं से भी ऐसा प्रतीत नहीं होता कि यहां लॉक डाउन प्रभावी तरीके से लागू है।
बुधवार को प्रतिबंध के बावजूद सड़कों पर आम लोगों की आवाजाही जारी रही।वहीं मोटर साईकल एवं अन्य छोटे- बड़े वाहनों का परिचालन भी अन्य दिनों की भांति ही देखने को मिला।लॉक डाउन की घोषणा के उपरांत सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश के तहत कुछ आवश्यक सेवाओं को छोड़ वाहनों एवं पैदल व्यक्तियों का सड़क पर परिचालन पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है।
परंतु आमजन अपनी व अपने समाज के जान को जोखिम में डालकर बेवजह सड़क पर निकलने से बाज नहीं आ रहे। इनके अलावा आवश्यक खाद्य सामग्री व फल सब्जी की दुकानों को भी सुबह 11 बजे तक ही लगाने का आदेश है।
परंतु कतिपय दुकानदार अपनी दुकानों का शटर आगे से लगाकर पिछे के रास्ते दुकान चलाते दिख रहे है।पुलिस वाले दो एक सब्जी वालों पर अपना रौब दिखाकर अपनी ड्यूटी समाप्त कर लेते हैं परंतु पुलिस गाड़ी सड़क से हटते ही मामला फिर पहले जैसा हो जाता है।ऐसे में जब प्रखंड क्षेत्र में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
प्रशासन को लॉक डाउन के संदर्भ में सख्ती बरतनी होगी।वरना हालात बेपटरी होते देर नहीं लगेगी।कोरोना संक्रमण की पुष्टि वाले क्षेत्रों को प्रशासन द्वारा कंटेन्मेंट एरिया घोषित करते हुए वहाँ बाहरी लोगों के आवागमन को प्रतिबंधित किया गया है। परंतु इन कंटेन्मेंट एरिया की समुचित सीलबंदी न होने व पुलिस कर्मी की गैरमौजूदगी की वजह से वहां प्रतिनियुक्त शिक्षकों को भारी परेशानी उठानी पर रही है।अक्सर बाहरी
लोगो को रोक टोक किये जाने व उनकी विवरणी पूछे जाने की वजह से शिक्षकों से उनकी झरप भी हो जाती है।