भगवान धनवंतरी का अवतरण दिवस है धनतेरस, जाने क्या करने से हो सकता है लाभ !
डेस्क
भगवान धनवंतरी का अवतरण दिवस है धनतेरस, जाने क्या करने से हो सकता है लाभ !
बिहार/सुपौल: सागर मंथन के क्रम में भगवान नारायण स्वयं भगवान धन्वंतरी के रूप में अमृत कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे। यह तिथि भगवान धन्वंतरी का प्राकट्य दिवस है ।देवताओं ने भगवान धन्वंतरी से अमृत प्राप्त कर लिया तो वह संसार के जीव-जंतुओं विशेषकर मानव मात्र के लिए आरोग्यता सूत्र देने हेतु भगवान महाकाल शिव को गुरु रूप में स्वीकार कर उनसे आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त कर संसार को आयुर्वेद दिया ।
यह तिथि यानी यह दिवस भगवान धन्वंतरी और महाकाल शिव के आराधना का तिथि है। यह तिथि में मनुष्य मात्र को भगवान शिव और भगवान धनवंतरी का उपासना कर आयुर्वेदिक सूत्रों को जानने और जनाने का दिवस है। यह तिथि संसार में आयुर्वेद के प्रसार का संकल्प का दिवस है ।
बाबा तिल्हेश्वर स्थान में अखिल भारतीय शिव सूत्र प्रचारिणी समिति शाखा सुपौल के बैनर तले यह कार्यक्रम 1997 से अनवरत आरोग्यता दिवस के रूप में मनाया जाता है । इस अवसर पर भगवान धन्वंतरी का आह्वान, पूजन एवं बाबा तिल्हेश्वर का वैदिक पद्धति से श्रृंगार करते हुए भजन और भगवान धन्वंतरी के जीवन पर चर्चा के माध्यम से पूरे रात्रि जागरण का कार्यक्रम होता है।
इस अवसर पर आने वाले सभी भक्तजनों के लिए भंडारे का भी उत्तम व्यवस्था रहता है। अखिल भारतीय शिव सूत्र प्रचारिणी समिति के सचिव संयोजन समिति के संयोजक तंत्र आचार्य अरुण कुमार झा ‘मुन्ना’ ने बताया कि यह दिवस ₹100 देखकर ₹90 का सोना चांदी या बर्तन खरीदने का दिन नहीं बल्कि महाकाल, मृत्युंजय, शिव एवं आयुर्वेद के प्रनेता भगवान धन्वंतरि के भक्ति करने और आयुर्वेद के सूत्रों को जानने का तिथि है।