अन्नदाता किसान की लड़ाई को कमजोर नहीं होने देंगे जरूरत पड़े तो कुर्बानियां भी देंग: ई.निराला 

डेस्क

अन्नदाता किसान की लड़ाई को कमजोर नहीं होने देंगे जरूरत पड़े तो कुर्बानियां भी देंग: ई.निराला 

बिहार/सुपौल: किसान यूनियन के द्वारा आहूत चक्का जाम का व्यापक असर जदिया बाजार जिला सुपौल बिहार में देखने को मिला यहां राष्ट्रीय युवा महासंघ के बैनर तले राष्ट्रीय किसान संघर्ष मोर्चा वामपंथ एवं किसानों के संयुक्त युवाओं के मोर्चा ने स्वैच्छिक चक्का जाम को सफल बनाया।

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चक्का जाम का नेतृत्व राष्ट्रीय युवा महासंघ के अध्यक्ष इंजीनियर एलके निराला ने किया। इंजीनियर एलके निराला ने आम आवाम को नुक्कड़ सभा के माध्यम से बताया कि कृषि कानून किसी भी नजर से भारतीय किसानों के लिए लाभकारी नहीं है। यदि यह कानून पूरे देश में लागू हो जाएगा तो खेती किसानी चौपट हो जाएगी। देश में 26 पॉइंट 3 करोड़ लोग खेती किसानी पर आधारित है, जिसमें 14 करोड़ लोगों के पास अपनी निजी जमीन नहीं है, जो अपना गुजर-बसर बटाई की खेती से करता है।

इस कानून के आने से जमीन का कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग होगा और बड़े-बड़े उद्योगपति जमीन कॉन्ट्रैक्ट पर ले लेंगे और भूमिहीन किसान का जीवन चौपट हो जाएगा।इंजीनियर निराला ने कहा हम लोग एक गैर राजनीतिक मंच के लोग हैं, हम लोगों को राजनीति से मतलब नहीं है। परंतु किसान के पगड़ी पर हाथ उठाने वालों को बख्शा भी नहीं जाएगा चाहे वह किसी भी संगठन विचारधारा या दल का हो, हम लोगों के लिए यह गर्व का विषय है कि पूरे देश का भरण पोषण करने वाले अन्नदाता किसान है और पूरे गर्व से हम लोग ‘जय जवान जय किसान’ का नारा लगाते हैं, तो हम लोग किसानों की स्थिति को चौपट और उनके दशा एवं दिशा को खराब नहीं होने देंगे।

वक्ताओं ने सरकार के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की रोष पूर्ण प्रदर्शन किया एवं काला कानून की वापसी को लेकर सड़क पर नारेबाजी की हालांकि चक्का जाम में परीक्षार्थी एवं अनिवार्य सेवा को बाधित नहीं किया गया एवं चक्का जाम बिल्कुल स्वैच्छिक लोगों ने चक्का जाम का समर्थन अपने -अपने वाहन को खड़ा कर किसानों के पक्ष में किया। इस वक्त राहगीरों और किसानों के एक ही सूरत और एक ही मांग थी कि काला कानून वापस हो। यदि कानून वापस नहीं होती है तो घर वापस नहीं होंगे अनवरत आंदोलन करते रहेंगे क्योंकि शांति का ही दूसरा रूप क्रांति होता है।

सभा को मुख्य रूप से इंजीनियर एलके निराला, दिलीप यादव, अशोक यादव, नवल मेहता, कपिलेश्वर यादव, महेंद्र यादव, गुरजीत सिंह, रामचंद्र यादव, रुपेश कुशवाहा, सतनारायण यादव, राहुल कुमार, सुनील कुमार, चंदन राम के साथ-साथ सैकड़ों की संख्या में किसान, नौजवान, महिलाएं, युवतियां सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी एवं कृषि कानून की वापसी की मांग की एवं चक्का जाम में भी भागीदारी दी !

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