दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वाधान में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन !
सहरसा: पंकज राज
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वाधान में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन !
बिहार/सहरसा: वैदिक काल से ही यज्ञ, तप और दान मानव जीवन का आधार रहा है। यदि गहराई से विचार किया जाए तो इन सब का आधार सिर्फ गौ सेवा है। यदि भारतीय संस्कृति की व्याख्या करनी हो तो यह गौरूप है। गौ हमें मेहनत से व शांतिपूर्ण जीवन जीने की प्ररेणा देती है। गौ प्रेम के कारण ही हमारा देश गोकुल, गोवर्धन कहलाता है ।गौ की रक्षा और हितों के संवर्धन के लिए स्वयं परमात्मा इस धरती पर आते हैं। पर उनकी संतान इस सेवा से क्यों वंचित हैं। वैदिक काल से ही मानव जीवन का आधार यज्ञ, दान व तप को माना गया है। गौ जैसा परोपकारी जीव हमें मेहनत व शांत जीवन जीने की प्रेरणा देता है। गौ प्रेम कारण ही हमारे देश में गोकुल, गोवर्धन, गोपाल इत्यादि नाम प्रचलित हैं।
उक्त बातें दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के कथा वाचक ने सत्तर कटैया के पदमपुर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथा वाचन करते हुए आशुतोष महाराज की शिष्या भागवताचार्य विदुषी कालिदी भारती ने कही। गोवंश में आ रही क्षीणता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा की गायों की संख्या के आधार पर ही भारतीय किसानों को नंद, उपनंद व नंदराज इत्यादि नाम दिए जाते थे। महापुरुषों ने जहां संसार में मानवता की रक्षा की बात की है। वहीं उन्होंने गौ रक्षा को भी श्रेष्ठ स्थान प्रदान किया है।
शास्त्रों में भी कहा गया है कि गौ वध करने योग्य नहीं है। भारत की संपन्नता गाय के साथ जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि गाय मानव का सच्चा साथी है। उन्होंने कहा कि आज पशु मेलों के नाम पर करोड़ों की संख्या में हमारा पशु धन बूचड़ खानों में पहुंचता है। सदियों से अहिंसा का पुजारी भारत देश आज हिसक व मांस निर्यातक देश के रूप में उभरता जा रहा है। देश के विभाजन से पहले देश में केवल 300 बूचड़खाने थे परंतु आज देश में 31000 बूचड़खाने हैं। यदि गौवंश के वध पर रोक न लगाई गई तो वर्ष 2030 तक भारत देश में गौ माता एवं गौ धन बिल्कुल खत्म हो जाएगा। कहा कि मानव के उपर परमात्मा की यह बहुत बड़ी कृपा है कि उसे शरीर के लिए आवश्यक स्वर्ण गाय के दूध से प्राप्त हो जाता है। पंचगव्य, दूध्, दही, गोबर, मूत्र, घी का सेवन करके लाईलाज रोगों से भी छुटकारा प्राप्त हो सकता है। हमारा राष्ट्रीय कर्त्तव्य बनता है कि हम गोवंश की रक्षा करें।