खुद के संघर्ष के बल पर देश की राजनीति के चमकते सितारे बने थे रामविलास पासवान !

पटना: अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट

 

खुद के संघर्ष के बल पर देश की राजनीति के चमकते सितारे बने थे रामविलास पासवान !

बिहार/पटना: कभी-कभी एक साधारण आदमी असाधारण बन जाता है। रामविलास पासवान ऐसे ही इतिहास मूर्ति थे। बिहार के खगड़िया जिले के फरकिया क्षेत्र के अलौली प्रखंड के छोटे से गांव में दलित परिवार में जन्म लेने वाले रामविलास पासवान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 1969 में अलौली क्षेत्र से विधायक बने और फिर राजनीति में लगातार विकास का सोपान चढ़ते रहे।

उनके राजनीतिक गुरू और सर्वप्रथम सोशलिस्ट पार्टी से टिकट देकर जितवाने वाले पूर्व सांसद रामजीवन सिंह कहते हैं। रामविलास पासवान में गजब की प्रतिभा निखरी। 89 वर्षीय श्री सिंह कहते हैं वर्ष 1969 में मैं मुंगेर जिला सोशलिस्ट पार्टी का अध्यक्ष था। जाड़े का मौसम था और नहाकर आया था। धूप में देह सुखाने के ख्याल से बैठा था और उस समय के पार्टी का अखबार जनता लेकर पढ़ रहा था। तभी देखा सड़क पर से एक कुर्ता पाजामा पहने दुबला पतला लड़का पार्टी आफिस की तरफ आ रहा था। मैं अखबार पढ़ता रहा। वह लड़का मेरे सामने पहुंचा और प्रणाम कर खड़ा हो गया।

Sai-new-1024x576
IMG-20211022-WA0002

 

मैंने पूछा किधर आए हैं ?
तो वे कहने लगे – जी मेरा नाम रामविलास पासवान है और मैं अलौली क्षेत्र का निवासी हूं और आपसे सोशलिस्ट पार्टी का टिकट मांगने आया हूं। मैंने सामने की स्टूल बढ़ा दी और कहा -बैठिए। वह बैठ गया और कहा – सर आप चाहेंगे तो मुझे टिकट मिल जाएगा। मैंने कहा – आप चुनाव कैसे लडयिएगा। कहा सर ही न व्यवस्था कराएंगे। मैंने कहा -, कितने तक पढ़े लिखे हैं तो कहे कि बीए पास हूं। ठीक है एक आवेदन टिकट के लिए लिखिए। वह सामने से हटकर आवेदन लिखने लगा। उस समय अलौली से कांग्रेस के विधायक मिश्री सदा हुआ करते थे। वे आजादी के बाद से ही लगातार जीत रहे थे। वहां से सोशलिस्ट पार्टी से कोई लड़का हिम्मत कर टिकट मांगने आया था।

मैंने मन में विचार किया ,इसकी मदद करनी चाहिए। तबतक वह आवेदन लिखकर दे आया था । हमने उसके आवेदन की गलतियों की फ्रूफ रीडिंग कर ठीक किया और कहा ठीक है मैं आज ही पटना जा रहा हूं और वहां से पार्टी सिंबल ले लूंगा। आप सोमवार को यहां से पार्टी सिंबल ले जाइएगा। मैं पटना गया और अपने पार्टी के नेता कर्पूरी ठाकुर और अन्य को आवेदन दिखा सारी बात की जानकारी दी। वे लोग मेरे सुझाव को मानकर टिकट फाइनल कर दिया। उस समय बेगूसराय जिले के गढ़पुरा ब्लाक के कुछ पंचायत अलौली विधानसभा क्षेत्र में ही थे। जो मेरे क्षेत्र के बगल में था। मैंने उस क्षेत्र में इनकी मदद की।
इसके बाद वे लगातार राजनीतिक सोपान चढ़ते गए।

वर्ष 1972 का विधानसभा चुनाव में मिश्री सदा से हार गए। इसके बाद हुए छात्र आंदोलन में कूद पड़े। वर्ष 1977 में हाजीपुर से रेकर्ड मतों से जीते और जनता पार्टी के एमपी बन गए। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखे। सांसद, विभिन्न विभागों के केन्द्रीय मंत्री और पार्टी के लगातार अध्यक्ष बनते रहे। राजनीति के मौसम वैज्ञानिक से लेकर अवसरवाद और परिवार के कुनबों को राजनीति में बढ़ाते देश के शीर्ष राजनीति में हावी रहे। केन्द्र की बदलती सरकारों के साथ सरोकार जोड़ने की रणनीति के ये सिद्धहस्त थे। ऐसे नेता के निधन से देश ने एक जमीनी नेता को खो दिया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!