लोक-आस्था का केंद्र है लालपुर का मैया विषहरी थान !

आशीष कुमार सिंह

लोक-आस्था का केंद्र है लालपुर का मैया विषहरी थान !

 

बिहार/सुपौल: छातापुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत रामपुर पंचायत स्थित लालपुर में सौ से भी अधिक वर्षों से अवस्थित मैया विषहरी का थान लोक-आस्था का केंद्र बना हुआ है। ग्रामीणों की माने तो मैया को ग्राम-देवी की उपाधि मिली हुई है। लेकिन इलाके के दर्जनों गांवों के श्रद्धालुओं के मन में मैया को लेकर अटूट श्रद्धा का भाव देखने को मिलता है। प्रत्येक वर्ष नागपंचमी के दिन यहाँ सम्पन्न होने वाली विशेष पूजा में सम्मिलित होने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को देखकर इस बात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

सौ से अधिक वर्षों से है थान

वर्तमान में मंदिर के पुजारी रामविलास राय के अनुसार मैया के इस थान का इतिहास सौ से भी अधिक वर्षों का है। उनके अनुसार मंदिर के पहले पुजारी बबरैया राय के द्वारा थान की स्थापना की गई थी। किंवदंती ऐसी है कि आज से सौ साल से भी पहले जब बबरैया राय कहीं से आ रहे थे। चलते-चलते वे एक वृक्ष के नीचे ठहरे। तभी उनके पाग में एक जोड़ा सर्प आ गया। जब बबरैया राय लालपुर पहुंचे तो पाग में उन्हें कुछ रेंगने का बोध हुआ। पाग उतारने पर उन्होंने सांप देखा और वे डर गए। तभी सांप ने मनुष्य आवाज में यह कहा कि वे मैया विषहरी है। वह इस गांव में स्थापित होने आई है। किंवदंती यह भी है कि बबरैया राय ने सर्प से वचन लिया कि वे गांव में किसी को दंश न करेंगे। बबरैया राय के बाद सत्यदेव राय और उसके बाद विश्वनाथ राय पीढ़ी-दर-पीढ़ी थान की पूजा का दायित्व निर्वाह में लगे रहे। विश्वनाथ राय के बाद उनके बड़े पुत्र रामविलास राय और उसके बाद उनके बेटे राजा राय को यह दायित्व सौंपा गया। पुजारी बताते हैं कि गांव में सर्प-दंश से मृत्यु का कोई उल्लेख नहीं मिलता है।

शुक्रवार को व्रती देती हैं सांझ

नाग पंचमी के अलावे वैसे तो प्रत्येक दिन माता के दरबार में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। लेकिन शुक्रवार की शाम को विशेष रूप से यहां व्रती दीप जलाने आती हैं। ग्रामीणों की माने तो भगवती स्वरूपा विषहरी के लिए शुक्रवार का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन श्रद्धालु मैया से अपनी अरज लगाते हैं। बताया जाता है कि मैया किसी को खाली हाथ नहीं लौटाती सबकी मुराद पूरी करती हैं।

छाग बलि की है प्रथा

विषहरी मैया के दरबार में छाग बलि की प्रथा है। प्रत्येक वर्ष नाग पंचमी के दिन दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और मन्नत पूरी होने पर छाग की बलि देते हैं। पुजारी श्री राय के अनुसार शनिवार को छोड़कर शेष अन्य दिन भी वर्ष भर मैया के दरबार में छाग की बलि दी जाती है। मन्नत पूरी होने पर अन्य धर्मावलम्बियों की तरफ से भी छाग की बलि दी जाती है।

खीर का प्रसाद है प्रसिद्ध

नागपंचमी के दिन होनेवाले विशेष पूजा -अर्चना के बाद वितरित किया जानेवाला खीर का प्रसाद प्रसिद्ध है। लोग बताते हैं कि ग्रामीणों के सहयोग से बनाये गए उस खीर का स्वाद दिव्य होता है। पुजारी श्री राय के अनुसार इस दिन सर्प-दंश का विष झाड़ने का मंत्र कौन सीख सकता है, इसकी भी परीक्षा होती है। गांव के युवक विष झाड़ने के लिए इसी दिन अपनी परीक्षा के लिए बैठते हैं। वहीं मौके पर छातापुर बीडीओ रीतेष कुमार सिंह, थानाध्यक्ष अभिषेक अंजन, डॉ शक्तिनाथ झा, संजीव मिश्रा, मुखिया महानन्द यादव, बिमल झा, महिंद्र मंगरैता आदि मौजूद थे।

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