शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षाविद सम्मान समारोह का आयोजन !

abhishek kumar shingh

सिमराही: सुरेश कुमार सिंह

शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षाविद सम्मान समारोह का आयोजन !

समाज शिल्पी है शिक्षक:- ब्रह्माकुमारी बबीता दीदी

बिहार/सुपौल: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय सिमराही बाजार के तत्वधान में स्थानीय ओम शान्ति भवन के सभागार में शिक्षक दिवस के अवसर पर नगर के संपूर्ण शिक्षको को एवं ब्रह्माकुमारीज संस्थान के विभिन्न पाठशालाओं के अलौकिक शिक्षकों के लिए भव्य सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उदघाटन संस्थान के स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी राजयोगिनी बबीता दीदी, विश्व हिन्दु परिषद के पूर्व जिला अध्यक्ष अनील कुमार महतो, वरिष्ठ व्यवसायिक एवं समाजसेवी सचिन मधोगड़ीया , समाजसेवी प्रोफेसर बैजनाथ भगत,थाना प्रभारी रजनीश कुमार, सब-इंस्पेक्टर भूपेंद्र प्रताप सिंह , लखिचंद्र हाई स्कूल के प्राचार्य सुनील कुमार नायक, कन्या मध्य विद्यालय के प्राचार्य ललितेश्वर रजक, महेंद्र कुमार, उमेश मंडल, पाटलिपुत्र सेंट्रल स्कूल के प्रधानाचार्य भूपेंद्र प्रसाद सिंह ,द परफेक्ट इंग्लिश बोर्डिंग स्कूल के प्रिंसिपल अमित कुमार ,टेक्निया वर्ल्ड स्कूल के प्रिंसिपल अतुल कुमार, ब्रह्माकुमार किशोर भाईजी ,डॉ वीरेंद्र प्रसाद साह,सुधीर कुमार इत्यादियो ने संगठित रूप में दीप प्रज्वलित एवं केक काट कर शुभारंभ किया । संपूर्ण शिक्षकों को शॉल ,माला एवं ईश्वरीय सौगात देकर के सम्मान भी किया।

ब्रह्माकुमारीज संस्थान के स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी राजयोगिनी, ब्रह्माकुमारी बबीता दीदी ने अपने उद्बोधन देते हुए कहा कि समाज को सुधारने के लिए आदर्श शिक्षकों की आवश्यकता है ।क्योंकि समाज शिल्पी है शिक्षक। उन्होंने कहा की आज के बिगड़ती परिस्थितियों को देखते हुए समाज को सुधारने की बहुत आवश्यकता है । वर्तमान के छात्र भावी समाज है । अगर भावी समाज को आदर्श बनाना चाहते हो तो छात्राओं को भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक आचरण के ऊपर भी उनके ध्यान देने की आवश्यकता है ।उन्होंने कहा कि शिक्षक वही है जो अपने जीवन की धारणाओं से दूसरों को शिक्षा देता है। धारणाओं से विद्यार्थियों में बल भरता है। उन्होंने कहा कि जीवन की धारणाओं से वाणी, कर्म व्यवहार और व्यक्तित्व में निखार आ जाता है ।दीदी ने कहा कि शिक्षा देने के बाद भी अगर बच्चे बिगड़ रहे हैं तो उसका मतलब मूर्तिकार में भी कुछ कमी है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के अंदर के जो संस्कार है उनका विद्यार्थी अनुकरण करते हैं। शिक्षकों को केवल पाठ पढ़ाने वाला शिक्षक नहीं बल्कि सारे समाज को श्रेष्ठ मार्गदर्शक देने वाला शिक्षक बनना है ।उन्होंने कहा कि शिक्षक होने के नाते हमारे अंदर सद्गुण होना आवश्यक है। शिक्षा में भौतिक सुधार तो है लेकिन नैतिकता का ह्रास होता जा रहा है ।उन्होंने बताया कि अपने जीवन की धारणाओं के आधार से नैतिक पाठ भी अवश्य पढ़ाएं ।दीदी ने कही कि शिक्षकों के हाव-भाव, उठना, बोलना, चलना ,व्यवहार करना, इन सब बातों का असर बच्चों के जीवन में पड़ता है ।उन्होंने कही कि अब समाज को शिक्षित करने व शिक्षा देने के स्वरूप को बदलने की आवश्यकता है ।स्वयं के आचरण से शिक्षा देने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि समाज को सुधारने की अहम भूमिका शिक्षकों की होती है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पाटलिपुत्र पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य भूपेन्द्र प्रसाद सिंह ने अपने उद्बोधन देते हुए कहा कि आदर्श शिक्षक ही आदर्श समाज निर्मित कर सकता है। समाज को सही दिशा देने वाला शिक्षक ही होता है ।शिक्षकों की जिम्मेदारी महान है। उन्होंने कहा कि मूल्य शिक्षा से सामाजिक, मानसिक, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, पारिवारिक समस्याएं उत्पन्न होती है ।उन्होंने कहा कि वर्तमान में युवा पीढ़ी को नई दिशा देकर समाज व देश में रचनात्मक क्रांति लाने का कर्तव्य शिक्षकों का काम है। उन्होंने कहा कि जग का अंधेरा समाप्त करने के लिए शिक्षकों को जीवन भर स्वयं भी विद्यार्थी बनकर सीखना होगा। जो जितना अध्ययन करता है उनका उतना ही अज्ञानता दूर होता है। उन्होंने कहा कि सीखने और सिखाने की कोई उम्र नहीं होती ।जीवन में सद्गुणों के विकास हेतु सीखने की आदत डालनी चाहिए । ब्रह्माकुमारी के द्वारा की गई शिक्षकों को सम्मान कार्यों के लिए संस्थान सराहना के पात्र हैं।

लखीचंद हाई स्कूल के प्रधानाचार्य सुनिल कुमार नायक ने अपने उद्बोधन देते हुए कहा कि भारत में शिक्षक दिवस को हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है। इस तारीख के पीछे विशेष कारण है इस दिन सन 1888 को स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्ण का जन्म हुआ था। वह दूसरे राष्ट्रपति होने के अलावा पहले उपराष्ट्रपति, एक दार्शनिक, प्रसिद्ध विद्वान ,भारत रत्न प्राप्त करता ,भारतीय संस्कृति के संवाहक, शिक्षाविद और हिंदू विचारक थे ।उनका हमेशा से मानना था कि शिक्षा के प्रति सभी को समर्पित रहना चाहिए। निरंतर सीखने की प्रवृत्ति बनी रहनी चाहिए। जिस व्यक्ति के पास ज्ञान और कौशल दोनों है उसके सामने हमेशा कोई न कोई मार्ग खुला रहता है। डॉक्टर राधाकृष्ण के विचार आज के युग में भी काफी प्रासंगिक है। डॉक्टर राधाकृष्ण ने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से विश्व को भारतीय दर्शन से परिचित करवाया। वह भारतीय संस्कृति के प्रख्यात शिक्षाविद महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिंदू विचारक थे। अपने इन्हीं महान गुणों के कारण भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से नवाजा। जिसके बाद वह भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति बने। साथ में विभिन्न प्रधानाचार्य डायरेक्टर एवं शिक्षकों ने भी अपना विचार रखे ।

उक्त कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमार किशोर भाई जी ने किया। मौके पर लखीचंद हाई स्कूल के प्रधानाचार्य सुनील कुमार नायक जी, शिक्षिका संगीता कुमारी, कृती कुमारी, फुलेश्वर चौधरी, रामू भाईजी, दिवाकर मिश्र, हेम नारायण यादव, कन्या मध्य विद्यालय के प्रधानाचार्य ललितेश्वर रजक ,कन्या उच्च विद्यालय रामपुर के प्रभारी महेंद्र कुमार, पाटलिपुत्र सेंट्रल स्कूल के प्रधानाचार्य भूपेंद्र प्रसाद सिंह, दी परफैक्ट इंग्लिश बोर्डिंग स्कूल के प्रिंसिपल अमित कुमार जी, हिल्स पब्लिक बोर्डिंग स्कूल के प्रिंसिपल नबीन कुमार , टेकनिया वर्ल्ड स्कूल के प्रिंसिपल अतुल कुमार, कैंब्रिज इंटरनेशनल सिमराही के डायरेक्टर सानू कुमार ,एस.एस .एकेडमी के प्रिंसिपल सुधीर कुमार, कोसी गुरुकुल आवासीय स्कूल के प्रिंसिपल हेम नारायण मेहता, हेरिटेज पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य सुरेंद्र कुमार, जगदेव प्रसाद ,जयप्रकाश शाह, ब्रह्माकुमार किशोर भाईजी, ब्रम्हाकुमारी आस्था बहन, पिंकी बहन ,आनंदी बहन, रेनू बहन ,तेजू भाई, इंद्रदेव भाई ,ब्रह्मदेव भाई, सत्य नारायन भाई इत्यादि सैकड़ों शिक्षक आदि कई लोग उपस्थित थे।

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