उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व संपन्न !
भीमपुर: सुमित जयसवाल
उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व संपन्न !
बिहार/सुपौल उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का अनुष्ठान सोमवार को संपन्न हो गया। इससे पहले व्रती और श्रद्धालुओं ने रविवार को ही छठ घाट पर पहुंचकर मंडप/घाट सजाकर उसमें विभिन्न प्रकार के फलों और पकवानों से सजा बर्तन रखकर अस्ताचलगामी सूर्य को व्रती ने अर्घ्य दिए और विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही सूर्य उपासना की कहानी सुनाई गई। इस दौरान कई जगह महिलाऐं जल में दीपदान भी करती नजर आई। इधर, छठ के अंतिम दिन सोमवार को छातापुर प्रखंड क्षेत्र के जीवछपुर, भीमपुर, मधुबनी,ठुठी, बलुआ, लक्ष्मीनिया, एवं अन्य कई जगहों के लोगों ने नदी, पूर्वी कोशी नहर, रानी पट्टी नहर, सुरसर नदी, पोखर, तालाब किनारे बने छठ घाटों पर शक्ति और समृद्धि के साथ-साथ परिवार की सुख -शांति की कामना के लिए पूरी निष्ठा के साथ भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया।
कहीं-कहीं बैंड बाजे के साथ डाला लेकर श्रद्धालु छठ घाट पहुंचे तो कहीं छठ गीत गाते हुए।
इस दौरान प्रखंड क्षेत्र के गैड़ा नदी, पूर्वी कोशी नहर के 52 आरडी-54 आरडी, मिर्चिया नदी, सुरसर नदी, रानीपट्टी नहर, चैनपुर स्थित सार्वजनिक तालाब एवं अन्य कई स्थानों पर निर्मित छठ घाटों पर पर्व करने वालों की भीड़ लगी रही।
हालांकि सोमवार की सुबह अन्य दिनो की भांति अधिक धुंध नही छाई हुई थी। इस वजह से भगवान भास्कर ससमय दर्शन दिए और अर्घ्य देने के लिए श्रद्धालुओ को ज्यादा इंतजार भी नहीं करना पड़ा। उधर, छठ घाटो पर सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनज़र भीमपुर पुलिस, बलुआ बाजार और ललितग्राम ओपी पुलिस की जगह-जगह तैनाती की गई थी। इतना ही नही क्षेत्र के रानीपट्टी नहर, भीमपुर, पूर्वी कोशी नहर के 52 आरडी, 54 आरडी, सुरसर नदी एवं अन्य कई छठ घाट पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
घाटों पर लोगों ने की जमकर आतिशबाजी
छठ घाटों पर लोगों ने रविवार शाम और सोमवार सुबह जमकर आतिशबाजी की। प्रशासन ने छठ से पहले संयुक्त आदेश जारी कर छठ घाटों पर आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस आदेश का कोई असर नहीं दिखा। लड़ी वाले पटाखों सहित तेज आवाज और अधिक धुआं वाले पटाखे खूब छोड़े गये।
अर्घ्य देने के बाद एक-दूसरे को लगाया सिंदुर
अर्घ्य देने के बाद घाट पर ही महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदुर लगाया। नाक से लेकर पूरी मांग तक सिंदुर लगाने के साथ ही अखंड सौभाग्य और सुहाग की कामना की गई। कई व्रतियों ने तो पारम्परिक तरीके से अनुष्ठान पूरा करने के बाद घाट पर ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पार्वण किए।