वर्षा जल संचयन के नाम पर बङा फर्जीवाङा, जांच टीम गठित, परिवादी ने जांच टीम पर उठाये सवाल !

सुपौल: अभिषेक कुमार झा

वर्षा जल संचयन के नाम पर बङा फर्जीवाङा, जांच टीम गठित, परिवादी ने जांच टीम पर उठाये सवाल !

परियोजना निदेशक के आदेश पर डीएम ने 3 सदस्यीय जांच टीम किया गठित !

भ्रषटाचार मुक्त जागरुकता अभियान के परिवाद पर परियोजना निदेशक ने दिया था जांच का आदेश !

आरोपी पदाधिकारी को ही बनाया गया है जांच टीम का सदस्य !

परिवादी ने जांच टीम पर उठाये सवाल , जांच सिर्फ कागजी खानापुर्ती !

 

बिहार/सुपौल : जिले के 85 उतक्रमित माध्यमिक विद्यालयों में वर्षा जल संचय कार्य किये बिना , कार्य योजना को शिक्षा विभाग के डीपीओ और अभियंताओं द्वारा कार्य पूर्ण का रिपोर्ट भेजने के मामलें में परियोजना निदेशक बिहार शिक्षा के आदेश पर डीएम ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर दिया है ।

भ्रष्टाचार मुक्त जागरुकता अभियान के अनिल कुमार सिंह के परिवाद पर बिहार शिक्षा के परियोजना निदेशक ने सुपौल डीएम को पत्र लिखकर जांच कर जांच प्रतिवेदन समर्पित करने का निर्देश दिया है ।

15 दिनों के भीतर मंतव्य सहित प्रतिवेदन देने का भी निर्देश दिया है ।डीएम महेंन्द्र कुमार प्रभारी पदाधिकारी जिला विकास शाखा ,डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान एवं भवन निर्माण विभाग के कनिय अभियंता की संयुक्त जांच टीम गठित की है।

वही परिवादी अनिल कुमार सिंह जिला पदाधिकारी के द्वारा गठित जांच टीम में आरोपी पदाधिकारी डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान के बनाने पर आपत्ति दर्ज किया है, और डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान को जांच टीम से हटाने का अनुरोध डीएम से किया है।

क्या है मामला

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली के तहत जिले के 100 माध्यमिक विद्यालयों को रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के लिए 73,600 रु. की दर से प्रति विद्यालय राशि निर्गत की गई ।

इस योजना के पीछे सरकार की मंशा थी कि स्कूलों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लगा कर वर्षा जल का संचय की सीख छात्र छात्राओं की दी जाय ताकि वे भी इस दिशा में जागरुक हो सके ।इतना ही नही सरकार इस योजना के माध्यम ग्रामीणों में वर्षा जल संचय के लिए जागरुकता फैलाना चाहती थी ।लेकिन सरकार की इस मंशा को शिक्षा विभाग के पदाधिकारी एवं अभियंताओं ने हवा निकाल दी और जनवरी 2020 में आयी इस राशि की उपयोगिता कागजों पर दिखा कर सरकार को रिपोर्ट सौंप दी ।जबकि जिले में 85 से अधिक विद्यालयों में कही भी रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बना ही नही था।

क्या है भ्रष्टाचार मुक्त जागरुकता अभियान का आरोप

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह जिलापदाधिकारी सहित शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारी को पत्र लिखकर विस्तृत जानकारी से अवगत कराया । श्री सिंह ने अपने परिवाद में कहा है कि जिले में 100 माध्यमिक विद्यालयों मे जल संचय हेतू जिले से राशि उपलब्ध करा दी गई । जिले के अधिकांश विद्यालयों में कार्य प्रारंभ भी नही किया गया था, लेकिन शिक्षा विभाग के पदाधिकारी और अभियंताओं ने 85 विद्यालयों में कार्य पूर्ण होने का प्रतिवेदन विभाग को समर्पित कर दिया ।

श्री सिंह ने सुपौल प्रखंड के ही माध्यमिक विद्यालय मल्हनी, बसबिट्टी, कालीगज, बरैल सहित जिले के 85 विद्यालयों फर्जी प्रतिवेदन समर्पित करने का खुलासा किया था।

डीएम ने किया जांच टीम गठित

जिला पदाधिकारी सुपौल ने एक आदेश जारी कर कहा है कि सुपौल जिले में उतक्रमित माध्यमिक विद्यालयों में वर्षा जल संचय संरचना में कार्य प्रारंभ नही होने के बाबजूद डीपीओ, एसएसए एवं सहायक अभियंता विनोद कुमार सहित कनिय अभियंता पर कार्य को पूर्ण दिखाते हुए राशि का गबन एवं जांच का अनुरोध अनिल कुमार सिंह भ्रष्टाचार मुक्त जागरुकता अभियान सुपौल द्वारा परिवाद समर्पित कर किया गया ।

राज्य़ परियोजना निदेशक बिहार शिक्षा परियोजना पटना के पत्रांक 5438 दिनांक 5 अक्टूबर 2020 द्वारा भी परिवाद में उल्लेखित आरोपो के जांच करने का अनुरोध किया है ।

इस निर्देश के आलोक में प्रभारी पदाधिकारी जिला विकास शाखा ,डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान एवं भवन निर्माण के कनिय अभियंता की एक संयुक्त जांच टीम गठित की जाती है ।जांच टीम को 15 दिन के अंदर जांच मंतव्य सहित उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है ।

आरोपी पदाधिकारी को ही बनाया जांच टीम का सदस्य

परिवादी अनिल कुमार सिंह ने जिला पदाधिकारी द्वारा गठित जांच टीम पर ही सवाल खङा कर दिया है ।

श्री सिंह ने कहा है कि उन्होने अपने परिवाद पत्र में डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी, लेकिन जिला पदाधिकारी जो जांच टीम गठित कि है उसमें आरोपी डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान को भी सदस्य बनाया गया है ।

उन्होने कहा है कि जांच टीम में आरोपी पदाधिकारी को हटा कर किसी दुसरे को जांच का जिम्मा सौपा जाय ताकि निष्पक्ष जांच हो सके ।

वही श्री सिंह ने कहा है जिला पदाधिकारी ने आरोपी पदाधिकारी को बचाते हुए साक्ष्य को मिटाने का काम किया है, क्योकिं जिस वक्त उन्होने परिवाद दाखिल किया था उस वक्त अधिकांश विद्यालयों में कार्य प्रारंभ नही किया गया था। आज के तारीख में अधिकांश विद्यालयों में कार्य पुर्ण हो चुका है ।

सबसे आश्चर्य की बात है कि परियोजना निदेशक पटना द्वारा 3 माह पूर्व ही जांच का आदेश दिया गया ।

जिसका भी पालन नही किया गया था ।यह जांच सिर्फ कागजी खानापूर्ती की जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!