वाह रे सरकारी तंत्र, कोविड 19 बना मज़ाक,कड़ाके की ठंड में फर्श पर लेटाये जा रहे हैं मरीज !

सुपौल/त्रिवेणीगंज:-राजेश कुमार

वाह रे सरकारी तंत्र, कोविड 19 बना मज़ाक,कड़ाके की ठंड में फर्श पर लेटाये जा रहे हैं मरीज।

बिहार/सुपौल:-वैश्विक महामारी कोरोना अभी ख़त्म भी नहीं हुआ है और सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था का पोल खुलना आरंभ हो गया है जिले के बड़े अनुमंडल की गिनती में पहले पायदान आने वाले त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में कोविड 19 के गाइड लाइनों का मज़ाक उड़ाया जा रहा है यहाँ के मरीज तो दूर ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर भी मास्क को जरूरी नहीं मानते हैं जानवरों की तरह परिवार नियोजन के ऑपरेशन करने के बाद इसे फर्श पर लेटाया जा रहा है मरीजों को इस कड़ाके की ठंड में बिना मास्क औऱ सोशल डिस्टेंस के जमीन पर लेटाया जा रहा है।

मरीजों के साथ आए परिजनों ने बताया कि ऑपरेशन के बाद जगह नहीं मिलने पर जमीन पर ही लेटने को मजबूर हैं, इस दौरान अस्पताल के द्वारा किसी भी प्रकार की कोई सुविधा मरीजों को नहीं दी जाती है।

मामले में अस्पताल के इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात जेनरल फिजिशियन डॉक्टर उमेश कुमार मंडल भी व्यवस्था नहीं होने का देते हैं हवाला।

डॉक्टर उमेश कुमार मंडल से जब पूछा गया कि अस्पताल में इतनी भीड़ क्यों है तो उन्होंने कड़े लहजे में बताया कि ये बात तो आप प्रभारी से पूछते न कि हमसे।फ़िर भी हमसे पूछ रहे तो आपको बता दें कि अस्पताल में व्यवस्था की कमी रहने के कारण इतनी भीड़ है।बेड पर जगह नहीं रहने के कारण फर्श पर लेटाया जा रहा है।

अस्पताल की प्रभारी मैडम ऑपरेशन करने के बाद अपने आवास पर चली गई है, जहाँ तक कोविड 19 के गाइड लाइन का सवाल है तो लोगों को समझाने के बाद भी लोग मास्क नहीं पहनते हैं, लेकिन इन सब के बीच हद तो तब हो गई जब लोगों को मास्क नहीं पहनने पर कोशने वाले डॉक्टर खुद अस्पताल में इतनी भीड़ रहने के बाबजूद बिना मास्क के देखे गए।मरीजों ओर उनके परिजनों के कारण अस्पताल में बढ़ी भीड़ के बीच बिना मास्क पहने इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर उमेश कुमार मंडल यहीं नहीं रुके उन्होंने मास्क पहनना भी जरूरी नहीं बताया।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि आज त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में 65 महिलाओं का परिवार नियोजन का ऑपरेशन हुआ है ऑपरेशन करने के बाद सभी को बिना सुविधा के जानवरों की तरह ठूंस कर जमीन पर लेटा दिया गया।रास्ते हो या मीटिंग हॉल सभी के जमीन पर मरीज इस कड़ाके की ठंड में लेटने को मजबूर हैं।

अस्पताल की यह व्यवस्था औऱ डॉक्टर के द्वारा कोविड 19 के गाइड लाइनों को हवा हवाई बताना सरकारी तंत्र के खोखले दावे की हकीकत बयां करता है।

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