संतमत के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए महर्षि मेंही ने बहुत कष्ट सहे- ईं निराला

डेस्क

संतमत के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए महर्षि मेंही ने बहुत कष्ट सहे- ईं निराला

बिहार/सुपौल: सादगी पूर्ण तरीके से कोविड-19 के गाइडलाइन का शत-प्रतिशत पालन करते हुए संतमत सत्संग आश्रम मानगंज गोठ मे पूज्य सुबोध बाबा के सानिध्य में मनाया गया बीसवीं सदी के महान संत सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज की 137 वीं जयंती समारोह।

कार्यक्रम का शुरुआत प्रातः 6:00 बजे भक्त मुंह पर मास्क एवं सैनिटाइजर की डब्बा लिए दूसरे हाथ में गुरुदेव की झंडा लिए हल्की फुहार बारिश के बीच सामाजिक दूरी का पालन करते हुए प्रभात फेरी निकालकर लोगों को सादगी पूर्ण जीवन एवं संतों के बताए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। प्रभात फेरी आश्रम से निकलकर अंबेडकर चौक सजनी देवी स्मृति द्वार होते हुए प्राथमिक विद्यालय मानगंज तक गया एवं आश्रम में आकर गुरु महाराज के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि किए तत्पश्चात स्तुति विनती एवं प्रार्थना किया गया। वर्तमान दौर में चल रहे महामारी से बचाने के लिए गुरुदेव से विशेष प्रार्थना की गई एवं लोगों को घर में रहकर सादगी पूर्ण तरीके से गुरुदेव की जयंती मनाने के लिए पूज्य सुबोध बाबा ने प्रेरित किया।

सुबोध बाबा ने कहा हमलोग संतमत के अनुयाई हैं और गुरु महाराज ने कहा है”संतमत बिना गति नहीं, सुनो सकल दे कान। जो चाहो उधार को बनो संत संतान । सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज आध्यात्म विज्ञान पर गंभीर प्रयोग कर उन्होंने ईश्वर प्राप्ति का जो शुद्ध सत्य ,संक्षिप्त और निरापद मार्ग उद्घाटित किया, उसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए उन्होंने बहुत कष्ट सहे। जाड़ा,गर्मी, बरसात का विकट मौसम देहात की ऊंची नीची कच्ची सड़कें बैलगाड़ी की सवारी कभी पैदल यात्रा रहने को टूटी फूटी झोपड़ी पीने को नदी का जल तथा खाने को रुखा सूखा भोजन फिर भी चेहरे पर गाढ़ा संतोष और बाल सुलभ आनंद। यह भी नारायण लीला और उसकी इस नर लीला में लीला सहचर की भूमिका निभाते थे। पूर्ववर्ती संतों की भांति ध्यान सत्संग सदाचार एवं सूविचार को जीवन में उतार कर यह कहने की समर्थता जताई है कि उपनिषदों और संत साहित्य में विवेक ‘ज्ञान’ शब्द है और बिंदुनाद साधना के माध्यम से ही सत्य स्वरूप परमात्मा का साक्षात्कार किया जा सकता है।

राष्ट्रीय युवा महासंघ के सौजन्य से आयोजित महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के जन्म शताब्दी समारोह पर मुख्य रूप से पहुंचे राष्ट्रीय युवा महासंघ के अध्यक्ष इंजीनियर एलके निराला ने कहा कि वर्तमान समय में महर्षि मेंही सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनका जीवन जनमानस के लिए समर्पित था। वे सदा लोगों को शांति का मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित करते थे। महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज परमात्मा प्राप्ति के लिए एकांत साधना हेतु सिकलीगर दरारा में गुफा बनाकर घोर साधना कीए थे किंतु उतने से ही उन्हें संतुष्टि नहीं मिलने पर भागलपुर कुप्पाघाट के प्राकृतिक गुफा में इन्होंने भजन अभ्यास करके परम प्रभु परमात्मा का साक्षात्कार किया। कठिन तपस्या के समय इनका शरीर जर्जर हो गया था। जिस प्रकार एक वैज्ञानिक अपनी प्रयोगशाला में अपने पूर्वर्ती वैज्ञानिकों के उपलब्ध सत्य का परीक्षण कर यह कहने में समर्थ होते है कि 2 भाग हैड्रोजन और एक भाग ऑक्सीजन को मिलाकर जल बनता है। उसी प्रकार महर्षि मेंही ने सभी संतो के विचार को साक्षी मानकर संतवाणी के आधार पर कहने की कृपा की कि सब संतों का एक ही मौत है और इश्वर पाने का रास्ता भी एक है।सभी धर्मों का मूल दया है।

इंजीनियर निराला ने महर्षि मेंही के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा हमलोगों को भौतिक ज्ञान के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान की भी जरूरत है। यदि आप सत्य ज्ञान जानना चाहते हैं, यदि आप जीवन की समस्याओं का समाधान ढूंढना चाहते हैं, यदि आप जीने की कला सीखना चाहते हैं और यदि आप अध्यात्मिक साधना में अग्रसर होना चाहते हैं Iतो ज्ञान जरूरी है। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय युवा महासंघ के संरक्षक संजय यादव उर्फ गांधी जी ने किया। मौके पर लक्ष्मण बाबा, ललन दास आकाश यादव, अखिलेश, ओमप्रकाश, मनीष, संगीता, किरण, पवन मंडल, उपेंद्र ऋषि देव, दामोदर बाबू, शिव यादव आदि उपस्थित रहे।

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