पटना सोना लूट कांड का उद्भेदन, पांच लुटेरे गिरफ्तार, 6 किलो सोना बरामद !

पटना: प्रिया सिंह

पटना सोना लूट कांड का उद्भेदन, पांच लुटेरे गिरफ्तार, 6 किलो सोना बरामद !

बिहार/पटना: पटना पुलिस ने बाकरगंज के एस एस ज्वेलर्स में हुए भीषण सोना लूट कांड का पर्दाफाश कर दिया है। वारदात के महज 48 घंटे के भीतर पुलिस ने लूट के माल सहित पांच अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया है। जिसके पास से लूट के 6 किलो सोना ,नगद राशि और पिस्टल तथा देसी कट्टा बरामद किया गया है। पुलिस ने 2 चार पहिया वाहन और कई दो पहिया वाहन भी अपराधियों के पास से जब्त किया है।

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पटना के एसएसपी मानव जीत सिंह ढिल्लों ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में इस लूट कांड का खुलासा करते हुए पत्रकारों को इसकी जानकारी दी। श्री ढिल्लो ने बताया कि जहानाबाद का सराफा व्यवसाई का बेटा ही इस लूट कांड का सरगना था। बताते हैं कि 2 दिन पूर्व पांच अपराधियों ने दिनदहाड़े बाकरगंज के एस एस ज्वेलर्स में डाका डालकर लगभग 35 किलो सोना और ढाई लाख रुपए लूट लिया था। इसे लेकर व्यवसायियों ने काफी आक्रोश जताया था और दुकानें बंद कर प्रशासन के खिलाफ सड़क पर थे।

एस एस पी ने बताए कि अपराधी जब लूट कांड को अंजाम देकर भाग रहे थे तो राजेश राम नामक एक अपराधी को स्थानीय लोगों ने पकड़ा था। इसके पास से आभूषणों से भरा एक बैग, एक लोडेड देशी कट्टा, एक सफेद अपाचे बाइक बरामद हुआ था। राजेश से पूछताछ और इस कांड के वैज्ञानिक अनुसंधान के जरिए एस आई टी ने राजेंद्र नगर के मैकडॉनल्ड्स गोलंबर के पास से तीन अपराधियों सोनू, राजू केवट और आकाश ओझा उर्फ सन्नी को गिरफ्तार किया। इन लोगों से पूछताछ के बाद पुलिस ने नितेश नामक एक अपराधी को भी पकड़ा।

इन सभी अपराधियों से पूछताछ की गई तो आकाश ओझा उर्फ सन्नी के संपतचक आवास से आभूषणों से भरा एक झोला, स्वर्ण व्यवसाई से लूटा गया 4 मोबाइल इत्यादि बरामद किया गया। इन अपराधियों के पास से 6 किलो 500 ग्राम सोना, 432000 नगद ,दो देसी पिस्टल, देसी कट्टा, दो पैशन प्रो बाइक, 3 पल्सर गाड़ी बरामद किया गया।

एसएसपी ने बताया कि नितेश का ही जहानाबाद में सोने चांदी का दुकान है। नितेश और एस एस ज्वेलर्स के मालिक का पूर्व से जान पहचान है ।बताते हैं कि नीतीश ने ही इस लूट कांड में लाइनर की भूमिका निभाई थी और यही इसका सरगना था। बताते हैं कि लूट कांड के बाद बचे हुए अपराधी छत्तीसगढ़ भागने वाले थे। लेकिन पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था के कारण यह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाए।

पुलिस ने बताया कि अपराध कर्मी अपने को पुलिस की निगाह से बचाने के लिए जिस गाड़ी का इस्तेमाल करते थे उस पर भारत सरकार का “लोगो” लगा रहता था और अशोक स्तंभ का प्रयोग किया जाता था।

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