शिक्षकों ने विद्यालय में अवकाश रद्द की प्रति जलाकर विरोध जताया: विकास कुमार
सिमराही: सुरेश कुमार सिंह
शिक्षकों ने विद्यालय में अवकाश रद्द की प्रति जलाकर विरोध जताया: विकास कुमार
पर्व त्यौहार का अवकाश समाप्त कर बच्चों को प्रताड़ित करना चाहती है शिक्षा विभाग: बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ
बिहार/सुपौल: बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के आह्वान पर सूबे के सभी सरकारी प्रारंभिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों ने अवकाश रद्द करने की शिक्षा विभाग के आदेश का प्रति जलाकर विरोध प्रकट किया। पर्चा दहन में सरकार के तुगलगी फरमान के विरुद्ध शिक्षकों का गुस्सा चरम पर दिखा। उक्त बातें संघ के प्रखंड अध्यक्ष विकास कुमार ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि निदेशक माध्यमिक शिक्षा के द्वारा सरकारी विद्यालयों में विभिन्न पर्व त्योहारों के अवसर पर छुट्टियां रद्द करने के आदेश को अविलम्ब वापस लिया जाय। उन्होंने कहा है कि निदेशक माध्यमिक शिक्षा, बिहार पटना के ज्ञापांक :- 2112 दिनांक:- 29 अगस्त 2023 के द्वारा मनमानी तरीके से राज्य के प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में पूर्व से घोषित अवकाश को रद्द कर दिया गया है।
आदेश के बाद विद्यालय में रक्षाबंधन, कृष्णाष्टमी, तीज जैसे महत्वपूर्ण भारतीय त्योहारों के छुट्टी को समाप्त कर दिया है। वही छठ एवं दुर्गा पूजा जैसे महत्वपूर्ण पर्व- त्योहार के अवकाशों में कटौती कर नाम मात्र की छुट्टियां दी गई है। जबकि उक्त अवसरों पर शिक्षा विभाग एवं अन्य सरकारी कार्यालय बंद रहेगा।
प्रखंड अध्यक्ष श्री कुमार ने कहा कि पर्व त्यौहार में बच्चों का उत्साह चरम पर होता है और उसे विद्यालय आने हेतु बाध्य करना मानसिक प्रताड़ना देने के समान होगा। यह बच्चों को अपने संस्कृति और रीति रिवाज मानने से वंचित करने का षड्यंत्र एवं बाल अधिकारों का हनन है। जो भारतीय सभ्यता – संस्कृति के खिलाफ साजिश है।
उक्त आदेश में उल्लेखित है कि शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत प्राथमिक विद्यालयों में 200 दिन एवं मध्य विद्यालयों में 220 दिन कार्य दिवस का प्रावधान है।
जिसे पूरा करने के लिए सभी अवकाशों को रद्द किया गया है। जबकि राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में ग्रीष्मावकाश, राष्ट्रीय त्योहार, महापुरुषों के जयंती एवं सभी धर्मों के विभिन्न पर्व – त्योहार को मिलाकर साल के 365 दिनों में मात्र 60 दोनों का अवकाश तथा 52 दिन रविवार या शुक्रवार का सप्ताहिक अवकाश ही देय है। जिस आधार पर राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में कुल कार्य दिवस 253 दिन होता है।
स्पष्ट तौर पर शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के अनुकूल हैं। जो विभाग के सफेद झूठ का नमूना है।
उन्होंने कहा कि देश केंद्रीय विद्यालयों में भी 144 दिन के सार्वजनिक अवकाश के साथ-साथ प्रत्येक माह के दूसरे शनिवार को छुट्टी रहती है।
प्रखंड अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा कि शिक्षा विभाग के आलाधिकारी महागठबंधन की सरकार को बदनाम करने की कसम खा रखी है। जिसका नतीजा है कि शिक्षा विभाग द्वारा जो भी आदेश निकाले जाते है वह कहीं न कहीं संदेह के घेरे में एवं नियम विरुद्ध होता है । जो विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के बीच बड़ा बहस का मुद्दा बन जाता है। जिससे सरकार लगातार कटघरे में खड़े दिखती है।
श्री कुमार ने कहा कि सरकार शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की तुगलगी फरमान को अविलंब वापस ले अन्यथा राज्य में आंदोलन को और तीव्र की जाएगी । जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा। शिक्षकों के मान- सम्मान एवं हक प्राप्ति तक संघ का संघर्ष जारी रहेगा।