आज की नई पीढ़ी किस ओर जा रही है, जिम्मेदार कौन ?
सुपौल: अभिषेक कुमार
आज की नई पीढ़ी किस ओर जा रही है, जिम्मेदार कौन ? एक ख़ास रिपोर्ट
बिहार/सुपौल: व्हाइटनर और सॉल्यूशन को कपड़े में रखकर नाक से सूंघने का शौक।
शहर में भीख मांगने और कबाड़ बीनने वाले बच्चे अजीब किस्म के नशे का शिकार हो रहे हैं।
दिन भर मेहनत करने के बाद ये नौनिहाल सॉल्यूशन (पंचर जोडऩे वाले टयूब में इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ), व्हाइटनर(स्याही से लिखा मिटाने वाला केमिकल) सूंघकर नशे में धुत हो जाते हैं।
बस स्टैंड, स्टेशन परिसर, हटखोला रोड स्थित कबाड़ी के आसपास ऐसे बच्चों की अच्छी- खासी संख्या है। ये बच्चे साइकिल की दुकान या फिर किताबों की दुकानों पर जाकर सॉल्यूशन या फिर व्हाइटनर खरीदते हैं, और उसे कपड़े पर डालकर बहुत जोर से सूंघते हैं।
ऐसा करने से उन्हें नशा छा जाता है और वे किसी भी कोने में पड़े रहते हैं। ये बच्चे दिन में भीख मांगते हैं और शाम में नशा करते हुए कहीं भी देखा जा सकता है।
बोन फिक्स, क्विकफिक्स,सन फिक्स और आयोडेक्स तक का इस्तेमाल ये बच्चे नशे के रुप में करते हैं। कई बच्चे तो पेट्रोल और केरोसिन भी पीकर नशे की प्यास बुझाते हैं।
बच्चे की जुबानी
पूछा तो जवाब मिला थकान दूर और अच्छी नींद
जब इसकी पड़ताल शहर के उन अंधेरी गलियों में की तो एक ऐसे ही नशे की आगोश में डूबा एक बच्चा कपड़े को नाक से लगाकर उसे जोर से सूंघ रहा था।
पूछने पर उसने बताया कि सॉल्यूशन है। ऐसा करने से उसे अच्छी नींद आ जाती है और आराम लगता है। जैसे ही उसका फोटो खींचना चाहा वह भाग गया।
स्टेशन परिसर के पास एक लड़का कपड़े में रखकर व्हॉइटनर सूंघ रहा था, पूछा तो उसने कहा कि 10 रुपए की शीशी को वह दो दिन चलाता है। बताया कि दिन भर कचरा बीनने के बाद थकान हो जाती है। शीशी की सुगंध लेने से राहत मिलती है और नींद भी अच्छी आ जाती है।
ऐसे बच्चों को शराब की दुकान और बियर बार में भी देखा जा सकता है। इन बच्चों को कई ग्राहक शराब की बोतल खरीदने में भी इस्तेमाल करते हैं।
क्या है नुकसान
सन फिक्स,बोन फिक्स, सॉल्यूशन, व्हाइटनर सूंघने से होने वाला नुकसान :
– फेफड़े का संक्रमण
– मस्तिष्क सुन्न
– स्नायु तंत्र कमजोर होना
– किडनी पर असर
– शरीर में सुस्ती