अस्पताल में दहशत के साए में डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी मरीजों का करते हैं इलाज !
सुपौल/सिमराही: सुरेश कुमार सिंह
अस्पताल में दहशत के साए में डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी मरीजों का करते हैं इलाज !
बिहार/सुपौल: सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्था और अस्पताल को लेकर सुशासन सरकार बड़े-बड़े दावे करती है। सूबे में बढ़ते और बदलते स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकार के दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
सुपौल जिले के प्रसिद्ध रेफ़रल अस्पताल राघोपुर की जर्जर भवन में डॉक्टर और सभी स्वास्थ्यकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर अस्पताल में ड्यूटी करने को मजबूर हैं। अस्पताल में दूर-दूर के मरीजों की भीड़ लगी रहती है ,अस्पताल में दर्जनो डॉक्टर्स कार्यरत हैं। मगर डॉक्टर डरे सहमे हैं फिर भी मरीजों का इलाज करने को मजबूर हैं।
डर की वजह अस्पताल के हेल्थ मैनेजर मुकेश कुमार ने बताया कि सर्जीकल वार्ड, नवजात शिशु स्थिरीकरण वार्ड, मीटिंग हॉल सहित अस्पताल के सभी भवन जर्जर है। रेफ़रल अस्पताल के सभी डॉक्टर और कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करने को मजबूर हैं। जर्जर भवन की छत का प्लास्टर और छज्जा टूटकर हमेशा गिरता रहता है। कई बार खुद डॉक्टर और मरीज बाल- बाल बचे हैं। डर के साए में डॉक्टर सहित कर्मचारी ड्यूटी करने को मजबूर हैं । वहीं अस्पताल में कार्यरत एएनएम ने बताया कि अस्पताल के प्रसव वार्ड में प्रसव के लिए हमेशा दर्जनों प्रसव पीड़िता मरीज भरे रहते हैं, डर के साये में मजबूरी वश ड्यूटी करना पड़ता है ।
रेफ़रल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि रेफ़रल अस्पताल जिले के ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर सिमराही में अवस्थित है। यहां हमेशा मरीजों का भीड़ लगा रहता हैं।अस्पताल का भवन 40 से 50 साल पुराना हो गया है। जर्जर होने से अस्पताल में कार्यरत दर्जनो डॉक्टर और कर्मचारी सहित मरीजों पर हमेशा खतरा बना रहता है । यहां कोविड जांच से लेकर वैक्सीनेशन कार्य चलता रहता है ।
हाल ही में सर्जिकल वार्ड में मरीज के सर्जरी के दौरान जर्जर छत का छज्जा गिरने से डॉक्टर और मरीज बाल-बाल बचे थे ,आये दिन जर्जर भवन से कभी छज्जा तो कभी प्लास्टर गिरते रहते हैं ,खतरा को देखते हुए अस्पताल भवन के गेट पर दुर्घटना की सावधानी के लिए पोस्टर चिपकाया गया ।
साथ ही रेफ़रल अस्पताल की जर्जर स्थिति का जानकारी से मुख्य चिकित्सा अधिकारी सहित महानिदेशक स्वास्थ विभाग और स्थानीय विधायक को अवगत कराया जा चुका है ,वावजूद अस्पताल के जर्जर स्थिति का कोई उपाय नही किया गया । कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकता है।