NEET में 622 अंक लाकर खुश नहीं हिमांशु, पूरी हुई महज परिवार की आकांक्षा !
सुपौल/सिमराही: सुरेश कुमार सिंह
NEET में 622 अंक लाकर खुश नहीं हिमांशु, पूरी हुई महज परिवार की आकांक्षा !
बिहार/सुपौल: नीट का परिणाम सोमवार की देर रात जारी हो गया। सुपौल जिले के राघोपुर प्रखंड में कार्यरत महिला पर्यवेक्षिका नीलम कुमारी के बड़े पुत्र हिमांशु कुमार ने नीट (मेडिकल) की परीक्षा में 622 अंक लाकर ऑल इंडिया स्तर पर 10472वां रेंक प्राप्त किया है। हिमांशु के इस उपलब्धि से उनके परिवार सहित उनके गाँव एवं रिस्तेदारो में खुशी की लहर है। हांलांकि हिमांशु अपने इस उपलब्धि से बहुत खुश नही है उनका कहना है कि कोविड ने उनके सपने पर पानी फेर दिया है, उन्होंने मेडिकल परीक्षा में आये रेंक को अपने कल्पना से कम अंक बताया औऱ कहा कि इस रिजल्ट से महज अपने माता पिता की आकांक्षा को पूर्ण किया है।
हिमांशु का कहना है कि वे एक साधारण परिवार से है, उनके परिवार में अभी तक कोई भी व्यक्ति चिकित्सीय वर्ग से जुड़ा नहीं है। इसलिए उनके माता पिता का सपना था कि वे डॉक्टर बने। इसी सपने को पूरा करने के लिए दसवीं तक उन्होंने पूर्णिया के एक निजी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद कोटा का रुख किया। यहां एलएन इंस्टिट्यूट से मेडिकल को ध्यान में रखकर 11 वीं एवं 12वीं की तैयारी किया। 2020 के नीट परीक्षा में उन्हें ऑल इंडिया रेंक 19232वां रेंक प्राप्त हुआ, रेंक ठीक नही रहने से उन्हें अच्छा कॉलेज नही मिला। परिवार के दवाव पर उन्होंने पटना डेंटल मेडीकल कॉलेज में अपना नामांकन करा लिया।और कोरोना काल के विपरीत परिस्थिति में भी 2021 के मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिये गोल इंस्टीच्यूट का रुख अपनाया। लेकिन कोविड के दूसरे लहर ने उनके सपनों पर अड़चन बनकर खड़ा हो गया।
हिमांशु कहते हैं कि नेक इरादा एवं कुछ कर दिखाने की जुनून के आगे कोविड महामारी भी उनके रास्ते का कांटा नही बन सका। वे कोरोना लॉकडॉन में सेल्फ स्टडी कर अपने माता पिता के आकांक्षा को पूर्ण किया है।
हिमांशु के पिता अनिल कुमार यादव पेशे से एलआईसी एजेंट हैं उनका कहना है कि अपने बेटे की उपलब्धि देख वे बहुत खुश हैं। जिस सपने को उन्होंने देखा था, उसे आज उनके बेटे ने पूरा कर दिखाया है। हिमांशु ने बताया कि उन्हें स्पोट्र्स और पढ़ाई के साथ साथ संगीत में बेहद रुचि है,वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम आजाद को अपना आदर्श बताया। वे कहते हैं कि डॉ. कलाम को अनुसरण करके ही यहां तक पहुंचे हैं।