विश्व बैंक से की मांग, ईमानदार संवेदकों द्वारा कराया जाए तटबंध से संबंधित कार्य !
सुपौल/करजाईन: गौरीश मिश्रा
विश्व बैंक से की मांग, ईमानदार संवेदकों द्वारा कराया जाए तटबंध से संबंधित कार्य !
बिहार/सुपौल : 2008 की कुसहा त्रासदी के बाद तटबंध के नजदीक बसे गांवों के लोगों में समाया हुआ डर अब धीरे-धीरे कम होने लगा है। बिहार की शोक कही जाने वाली कोशी नदी के पूर्वी तटबंध के नजदीक स्परों के सुदृढ़ीकरण कार्य शुरु होने के बाद लोगों में बाढ़ का डर कम होने लगा है।
पूर्वी तटबंध के नजदीक बसे गांवों के जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों ने विश्व बैंक को एक आवेदन देकर पूर्वी कोसी तटबंध के नजदीक स्परों के सुदृढ़ीकरण के कार्य की काफी सराहना करते हुए आगे भी विश्व बैंक से चुने गए संवेदकों से ही कार्य कराने की अपील की है।
पूर्वी कोसी तटबंध क्षेत्र के करीब 20 पंचायत के लोगों सहित बसन्तपुर प्रखंड प्रमुख संतोष राम, ललिता देवी, खुशबू कुमारी, महारानी देवी, विजय कुमार, मुखिया देवेंद्र दास, संतोष कुमार मेहता, पहाड़ी पासवान, पैक्स अध्यक्ष मु. सलीम, पूर्व मुखिया धर्मेंद्र पासवान, सरपंच दुर्गानंद सिंह आदि ने विश्व बैंक के टास्क टीम लीडर दीपक कुमार को आवेदन के माध्यम से बताया है कि वर्ष 2016 में बिहार में आए भीषण त्रासदी के बाद जो पूर्वी कोशी बांध पर विश्व बैंक के द्वारा स्परों के सुदृढ़ीकरण का कार्य करवाया जा रहा है वह काफी सराहनीय है।
इन्होंने बताया कि पहले कोसी मुख्य बांध के काफी करीब से बहती थी, लेकिन अब जिन-जिन स्परों के सुदृढ़ीकरण का कार्य किया गया है, उन-उन स्परों से कोसी की धारा मुख्य बांध से दूर में बहने लगी है, जिससे क्षेत्र के लोगों में उत्पन्न भय में कमी आई है और लोग निर्भय होकर अपने जीवन यापन का कार्य कर रहे हैं। साथ ही तटबंध भी सुरक्षित हो गया है तथा इस कार्य के होने से स्थानीय मजदूरों को रोजगार भी उपलब्ध होने लगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरी है।
इस कार्य में विश्व बैंक द्वारा चयनित योजका इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा भी स्पर के सुदृढ़ीकरण का कार्य अच्छे तरीके से किया गया है। विश्व बैंक के माध्यम से चुने गए संवेदक का कार्य सराहनीय है। साथी लोगों ने आग्रह किया है कि आगे भी तटबंध से संबंधित कार्य के लिए इसी संवेदक का या इसके समतुल्य ईमानदार संवेदक का चयन कर कार्य करवाया जाए। ताकि अच्छे तरीके से कार्य संपादित हो।