बाल दिवस पर याद किए गए चाचा नेहरू, किया गया पौधा वितरण एवं रोपण !
डेस्क
बाल दिवस पर याद किए गए चाचा नेहरू, किया गया पौधा वितरण एवं रोपण !
बिहार/सुपौल: छातापुर प्रखंड के डहरिया पंचायत स्थित वार्ड 02 के यू जी पब्लिक स्कूल में बाल दिवस के अवसर पर पर्यावरण सांसद सह ट्रीमेन रामप्रकाश ‘रवि’ द्वारा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित किया गया तथा चाचा नेहरू के स्मृति में पौधा रोपण करने के साथ साथ उपस्थित सभी बच्चों को फलदार एवं छायादार पौधा प्रदान किया। श्री रवि ने बाल दिवस की महत्ता पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन 14 नवंबर को हर साल देश में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाल दिवस का दिन देश के बच्चों को समर्पित है। दरअसल पंडित जवाहरलाल नेहरू बच्चों से काफी लगाव, प्यार और स्नेह रखते थे। उनका जन्म इलाहाबाद में 14 नवंबर 1889 को हुआ था। वह बच्चों को एक राष्ट्र की असली ताकत और समाज की नींव मानते थे। यही वजह है कि उनके जन्मदिन को देश भर में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। बच्चे भी नेहरु जी को प्यार से चाचा नेहरु कहकर पुकारते थे।
चाचा नेहरु का इस देश को अंग्रेजों से आजाद कराने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। वह महान स्वतंत्रता सेनानी थे। 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद उनकी काबिलियत और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए उन्हें देश की कमान सौंपी गई। उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में देश की बागडोर सफलतापूर्वक संभाली और देश उन्नति की ओर अग्रसर हुआ।
चाचा नेहरू कहा करते थे कि आज के बच्चे कल के भारत का निर्माण करेंगे, हम जितनी बेहतर तरह से बच्चों की देखभाल करेंगे राष्ट्र निर्माण भी उतना ही बेहतर होगा। इसलिए आज के दिन अगर हम बाल कल्याण की बात नहीं करेंगे तो यह सही नहीं होगा। दरअसल बाल दिवस की शुरुआत किए जाने का असल मकसद ही बच्चों की जरूरतों को पहचानना, उनके अधिकारों की रक्षा करना और उनके शोषण को रोकना था, ताकि बच्चों का समुचित विकास हो सके।
लेकिन विडंबना देखिए आज भी देश में हजारों लाखों बच्चे बाल मजदूरी में लिप्त हैं। आपके आस पड़ोस दुकानों, रेस्तरां, चाय की दुकानों आदि अन्य जगहों पर बाल मजदूर दिख जायेंगे। उन्हें उनका शिक्षा का अधिकार नहीं मिल पा रहा है। बाल श्रमिक , बाल मजदूरी की समस्या हर राज्य में फैला है।
इस बाल दिवस पर हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हमसे जैसा भी संभव होगा, हम बाल शोषण व बाल मजदूरी को रोकेंगे। वंचित बच्चों को शिक्षा दिलाने की हर संभव कोशिश करेंगे। हमारे इन्हीं प्रयासों से चाचा नेहरू के सपनों के राष्ट्र का निर्माण होगा।
मौके पर शिक्षक दिलखुश झा,गमन झा,रौशन कुमार,रमण कुमार , राजन कुमार, मंजीत कुमार आदि उपस्थित थे।