बलभद्र भगवान का पूजनोत्सव उमंग व उत्साह के माहौल में संपन्न हुआ !

छातापुर: आशीष कुमार सिंह

बलभद्र भगवान का पूजनोत्सव उमंग व उत्साह के माहौल में संपन्न हुआ !

 

बिहार/सुपौल: छातापुर मुख्यालय स्थित महर्षिमेहिं सत्संग सह योगाश्रम परिसर मे व्याहूत समाज के कुल देवता बलभद्र भगवान का पुजनोत्सव उमंग व उत्साह के माहौल मे संपन्न हो गया, बलभद्र भगवान की जयंती के पावन अवसर पर उनकी प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान पूर्वक पूजन किया गया।

पूजन पश्चात हवन हुआ जिसमे दर्जनों लोग शामिल हुए, तत्पश्चात पांच जनों के द्वारा बलभद्र भगवान को विविध व्यंजनों का महाभोग लगाया गया, जिसके बाद आरती व प्रसाद के साथ पूजन का समापन हो गया, बलभद्र पूजा समिति छातापुर के द्वारा आयोजित पूजनोत्सव मे प्रखंड क्षेत्र के व्याहूत समाज से आने वाले सैकड़ो लोग शामिल हुए, जिसमे खासकर बच्चों और महिलाओं के बीच खासा उत्साह देखा गया, आयोजन के मौके पर भोज भंडारा का आयोजन भी किया गया जिसमे सैकड़ो लोगों ने महा प्रसाद ग्रहण किया।

इस मौके पर राजकुमार भगत, उपेंद्र भगत, अशोक भगत, अध्यक्ष गौरीशंकर भगत सहित कई वरिष्ठ स्वजातीय ने कहा कि यह समाज सदियों से बलभद्र भगवान को कुलदेवता के रूप में पुजते आये हैं, साथ ही बलभद्र भगवान के महत्व व महिमा के संदर्भ में लोगों को बताया गया, वहीं व्याहूत कलवार समाज की एकजुटता तथा शैक्षणिक व आर्थिक उन्नति को लेकर भी अपने विचार व्यक्त किये।

पुजनोत्सव को सफल बनाने मे प्रदीप कुमार भगत, अरविंद भगत, संजय भगत, उपाध्यक्ष जयकुमार भगत, भोगानंद राजा, रामटहल भगत, गुड्डू भगत सहित यूवाओं का सराहनीय योगदान रहा, मौके पर अनारचंद भगत, गोपालजी भगत, विंदेश्वरी प्रसाद भगत, पूर्व मुखिया जयकुमार भगत, कमलेश्वरी भगत, प्रमोद भगत, बिनोद कुमार भगत, जगदीश भगत, सुरेश भगत, सुरज चंद्र प्रकाश, संजय भगत, मोहन भगत, बबलु भगत, गुंजन भगत, अजय कुमार मोती, जयप्रकाश भगत, मनीष भगत, मिट्ठू भगत, रवि भगत, छोटू भगत आदि थे।

 

श्रीकृष्ण जी विष्णु तो बलरामजी शेषावतार थे, दोनों के मातायें अलग अलग पर पिता एक ही थे

बताया जाता है कि जब कंस ने देवकी व वसुदेव के छः पुत्रों को मार डाला तो देवकी के गर्भ मे भगवान बलराम जी पधारे, योगमाया ने उन्हें आकर्षित करके नंद बाबा के यहां निवास कर रही रोहिणी के गर्भ मे पहूंचा दिया, श्री कृष्ण व बलराम जी कि मातायें अलग अलग थी परंतु पिता एक, बलभद्र भगवान के कई नाम है, बलराम, दाऊ, बलदाऊ, हलधर, संकर्षण आदि कई नामों से जाना जाता है, बलवानों मे श्रेष्ठ रहने के कारण उन्हे बलभद्र कहा जाता है, द्वापर युग मे श्रीकृष्ण विष्णु अवतार तो बलभद्रजी ( बलराम) शेषावतार थे, बलराम जी बडे भाई रहने के कारण श्रीकृष्ण जी उन्हें दाऊजी कहकर संबोधित करते थे, बलभद्र जी का विवाह रेवती से हुआ था, इनके नाम से मथूरा मे दाऊजी का प्रसिद्ध मंदिर है, वे गदा धारण करते हैं, बलराम जी ने ही भीम व दूर्योधन दोनों को गदा सिखाई थी, व्याहूत समाज के लोग आदि काल से ही बलभद्र जी को कुल देवता के रूप मे पूजते हैं और उन्हें अपना आराध्य मानते हैं।

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