गुरु के सानिध्य में रहकर ही ईश्वर की भक्ति की जा सकती है: चतुरानंद

सौरबाजार: सत्यपाल कुमार

गुरु के सानिध्य में रहकर ही ईश्वर की भक्ति की जा सकती है: चतुरानंद

बिहार/सहरसा: अखिल भारतीय सन्तमत सत्संग का 112 वां वार्षिक महाधिवेशन सौरबाजार में शुरू हुआ।
तीन दिवसीय इस सत्संग कार्यक्रम में प्रवचन के माध्यम से संतमत सत्संग के ब्रह्मऋषि स्वामी चतुरानंद जी महाराज ने कहा कि बिना संत के सानिध्य में रहे ईश्वर से भक्ति का रास्ता नहीं मिलता। संतों की सेवा में ईश्वर पूजा का फल है धर्म व पंथ अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन मंजिल एक है। दया, परोपकार, दान, सेवा, भक्ति ये सब गुण धर्मात्मा के लक्षण हैं।

माता-पिता, गुरू की सेवा बुजुर्गों का आशीर्वाद कभी व्यथा नहीं जाता। इनके आदर से देवता प्रसन्न होते हैं। हमें अपने जीवन में ईश्वर प्राप्ति के साधन को हासिल करने के लिए अपने ऊपर छाए काम, क्रोध, मोह, वासना के परित्याग के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए।महर्षिमेंही हृदयधाम संत शाही नगर चन्दौर सौरबाजार के संस्थापक स्वामी अनुभवानंद बाबा के नेतृत्व में आयोजित इस महाधिवेशन में देश विदेश से आए सैकड़ों की संख्या में संतों ने अपनी अमृतवाणी से लोगों को लाभान्वित किए। अधिवेशन में दूरदराज से आने वाले लोगों को ठहरने, भोजन ,पेयजल, शौचालय समेत अन्य सारी सुविधा उपलब्ध रही।

हजारों की संख्या में श्रद्धालु सत्संग स्थल पर पहुंचकर संतों की वाणी को सुनकर लाभान्वित हुए। कार्यक्रम के आयोजन में सौरबाजार प्रखंड के अतिरिक्त आस पास के कई क्षेत्रों सहित दूर दराज से भी सत्संग प्रेमियों का भरपूर सहयोग मिल रहा है ।नगर पंचायत सौरबाजार कार्यालय के समीप लगभग 10 एकड़ के एरिया में फैले पंडाल में लोगों की भीड़ जुटी है।

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