अनूपलाल यादव महाविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर कार्यक्रम आयोजित !

त्रिवेणीगंज: संत सरोज

अनूपलाल यादव महाविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर कार्यक्रम आयोजित !

बिहार/सुपौल: राष्ट्रीय सेवा योजना प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय इकाई अनूपलाल यादव महाविद्यालय त्रिवेणीगंज, सुपौल के संयुक्त तत्वाधान में अष्टम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जयदेव प्रसाद यादव की अध्यक्षता में एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी सह जिला नोडल पदाधिकारी प्रोफेसर विद्यानंद यादव द्वारा योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक गण प्रोफेसर अशोक कुमार, प्रोफेसर अरुण कुमार, द्वितीय इकाई के कार्यक्रम पदाधिकारी प्रोफ़ेसर कुमारी पूनम, तृतीय इकाई के कार्यक्रम पदाधिकारी प्रोफ़ेसर शंभू यादव तथा अन्य शिक्षकेतर कर्मचारी गण राम सुंदर यादव, गगन कुमार, राजू कुमार, रंजन कुमार, मुकेश कुमार तथा अन्य एवं एनएसएस के स्वयंसेवक नंदनी गौर, संध्या कुमारी, रणजीत सिंह, अनुपम कुमार, अभिजीत कुमार, अजय कुमार पासवान, अश्वनी कुमार, पिंकी कुमारी, कविता कुमारी तथा अन्य योग कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।


योग गुरु सह योग प्रशिक्षिका ऋतंभरा भारती जिला योग प्रचारिका सुपौल , सहायक योग शिक्षक नूतन कुमार, योग विस्तारक आमोद कुमार कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। जिला योग प्रचारिका ऋतंभरा भारती द्वारा सूर्य नमस्कार, वृक्षासन, मंडूकासन, भस्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, उदगीत तथा अन्य प्राणायाम करवाया गया एवं विस्तृत पूर्वक योग के महत्व को बताया गया। उन्होंने निरोगी काया के लिए एकमात्र उपाय योग बताये।

प्राचार्य महोदय ने बतलाए कि किसी भी राष्ट्र का विकास व्यक्ति के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। योग से शरीर और चित्र दोनों शुद्ध होता है। सभी व्यक्ति सुख शांति के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं। वास्तविक सुख तो योग से ही प्राप्त होता है। इसलिए कहा गया है योग: कर्मसु कौशलम्। योग: चित्तवृत्ति निरोध:। योग का लोगों के शरीर एवं मानसिक विकास में अहम भूमिका है। कोविड-19 महामारी को मात देने के लिए योग एक कारगर साधन सिद्ध हुआ। संपूर्ण प्राणी के लिए योग आवश्यक है। इसलिए वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का थीम है-” मानवता के लिए योग”। एनएसएस के स्वयंसेवकों को चाहिए कि जो लोग योग का महत्व नहीं समझते हैं उसे योग के गुणों से अवगत करवाएं तथा स्वयं के अलावा अन्य लोगों को भी नियमित योग करने के लिए प्रेरित करें।

कार्यक्रम पदाधिकारी प्रोफेसर विद्यानंद यादव ने बतलाया कि महर्षि पतंजलि को योग का जनक कहा जाता है। महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग से मोक्ष की प्राप्ति होती है। अष्टांग योग के समाधि से प्राप्त निर्विकल्प और सविकल्प ज्ञान, ज्ञान की चरम अवस्था है, जिसके लिए संसार के सभी मानव प्रयत्नशील रहते हैं।योग की महत्ता को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र सभा द्वारा 11 दिसंबर 2014 को प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। 21 जून उत्तरी गोलार्ध का सबसे बड़ा दिन होता है, जिसे हम लोग ग्रीष्म संक्रांति कहते हैं। भारतीय परंपरा के अनुसार ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है। उक्त समय आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम होता है। इन्हीं कारणों से संपूर्ण विश्व में 21 जून को ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। तरह-तरह की व्याधियों से बचने एवं मन को संयमित कर झंझट फसाद से बचने के लिए संपूर्ण विश्व में योग आवश्यक है। कहा भी गया है समत्वम योग उच्यते अर्थात सर्वत्र योग से सुख और शांति ही मिलती है जो समता की स्थिति है।

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